Thursday 28 April 2022

प्रमाद और दीर्घसूत्रता -- साक्षात् मृत्यु हैं ---

 प्रमाद और दीर्घसूत्रता -- साक्षात् मृत्यु हैं। जब तक भगवान की प्रत्यक्ष अनुभूति नहीं होती, तब तक चैन से मत बैठो। हमारी आध्यात्मिक साधना ही हमारा कर्मयोग है।

“राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहाँ बिश्राम” --- रामकाज है -- परमात्मा का साक्षात्कार। नकारात्मक और हतोत्साहित करने वाले लोगों को विष की तरह जीवन से बाहर निकाल फेंको, चाहे वे कितने ही प्रिय हों। कुसंग सर्वदा दुःखदायी होता है।
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अपने इष्टदेव से एकाकार होकर उन का ध्यान करना चाहिये। कूटस्थ सूर्य-मण्डल में जिन परम-पुरुष का ध्यान हम करते हैं, वे परम-पुरुष --हम स्वयं हैं। गहन ध्यान में जिन परमशिव की अनुभूति होती है, वे परमशिव हम स्वयं हैं। स्वयं से पृथक कुछ भी अन्य नहीं है। यही अनन्य-भक्ति और अनन्य-योग है। हम यह देह नहीं, स्वयं परमशिव हैं।
शिवोहम् शिवोहम् अहम् ब्रह्मास्मि !!
कृपा शंकर
२८ अप्रेल २०२१