आध्यात्मिक रूप से सबसे बड़ी सेवा .....
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धर्म, राष्ट्र, समाज और हम सब के समक्ष, बहुत विकराल समस्याएँ हैं| उनके समाधान पर चिंतन अवश्य करना चाहिए| भारत की आत्मा आध्यात्मिक है अतः भारत का पुनरुत्थान एक विराट आध्यात्मिक शक्ति द्वारा ही होगा| सौभाग्य से ऐसी अनेक महान आत्माओं से मेरा मिलना हुआ है जो शांत रूप से स्वयं अपने प्राणों की आहुति देकर राष्ट्र के उत्थान के लिए दिन-रात निःस्वार्थ रूप से कार्य कर रही हैं| धन्य हैं वे महान आत्माएँ|
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आध्यात्मिक रूप से सबसे बड़ी सेवा और सबसे बड़ा परोपकार जो हम समष्टि, राष्ट्र, समाज या व्यक्ति के लिए कर सकते हैं, वह है ..... "आत्म-साक्षात्कार"| इस से बड़ी सेवा और कोई दूसरी नहीं है| इस बात को वे ही समझ सकते हैं जो एक आध्यात्मिक चेतना में हैं, दूसरे नहीं, क्योंकि यह बुद्धि का विषय नहीं, अनुभूति का विषय है|
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जिसे हम अन्यत्र ढूँढ रहे हैं, वह कहीं अन्यत्र नहीं है, वह तो हम स्वयं ही हैं| हम में और परमात्मा में कोई भेद नहीं है| भेद अज्ञानता का है| जो ढूँढ रहा है वह परमात्मा ही है जो अपनी लीला में स्वयं स्वयं को ही ढूँढ रहा है| यह पृथकता, यह भेद .... सब उसकी लीला है, कोई वास्तविकता नहीं| वह स्वयं ही आत्म-तत्व, गुरु-तत्व और सर्वस्व है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
१० जनवरी २०१८
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धर्म, राष्ट्र, समाज और हम सब के समक्ष, बहुत विकराल समस्याएँ हैं| उनके समाधान पर चिंतन अवश्य करना चाहिए| भारत की आत्मा आध्यात्मिक है अतः भारत का पुनरुत्थान एक विराट आध्यात्मिक शक्ति द्वारा ही होगा| सौभाग्य से ऐसी अनेक महान आत्माओं से मेरा मिलना हुआ है जो शांत रूप से स्वयं अपने प्राणों की आहुति देकर राष्ट्र के उत्थान के लिए दिन-रात निःस्वार्थ रूप से कार्य कर रही हैं| धन्य हैं वे महान आत्माएँ|
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आध्यात्मिक रूप से सबसे बड़ी सेवा और सबसे बड़ा परोपकार जो हम समष्टि, राष्ट्र, समाज या व्यक्ति के लिए कर सकते हैं, वह है ..... "आत्म-साक्षात्कार"| इस से बड़ी सेवा और कोई दूसरी नहीं है| इस बात को वे ही समझ सकते हैं जो एक आध्यात्मिक चेतना में हैं, दूसरे नहीं, क्योंकि यह बुद्धि का विषय नहीं, अनुभूति का विषय है|
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जिसे हम अन्यत्र ढूँढ रहे हैं, वह कहीं अन्यत्र नहीं है, वह तो हम स्वयं ही हैं| हम में और परमात्मा में कोई भेद नहीं है| भेद अज्ञानता का है| जो ढूँढ रहा है वह परमात्मा ही है जो अपनी लीला में स्वयं स्वयं को ही ढूँढ रहा है| यह पृथकता, यह भेद .... सब उसकी लीला है, कोई वास्तविकता नहीं| वह स्वयं ही आत्म-तत्व, गुरु-तत्व और सर्वस्व है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
१० जनवरी २०१८