Sunday, 24 November 2024
जो करना चाहता हूँ, वैसी सामर्थ्य नहीं है ---
स्वयं को मुझ में व्यक्त करो ---
स्वयं को मुझ में व्यक्त करो। (Reveal Thyself unto me)। एक बार अनुभूति हुई कि सामने एक महासागर आ गया है, तो बिना किसी झिझक के मैंने उसमें छलांग लगा दी और जितनी अधिक गहराइयों में जा सकता था उतनी गहराइयों में चला गया। फिर सांस लेने की इच्छा हुई तो पाया कि सांस तो स्वयं महासागर ले रहा है, सांसें लेने का मेरा भ्रम मिथ्या है। फिर भी पृथकता का यह मिथ्या बोध क्यों? यही तो जगत की ज्वालाओं का मूल है।
सम्पूर्ण भारत में तमोगुणी विचारधाराओं का सम्पूर्ण नाश हो, और रजोगुण व सतोगुण में निरंतर वृद्धि हो ---
सम्पूर्ण भारत में तमोगुणी विचारधाराओं का सम्पूर्ण नाश हो, और रजोगुण व सतोगुण में निरंतर वृद्धि हो। अधर्म के नाश, व धर्म की विजय के लिए प्रकृति यदि महाविनाश भी करती है, तो उसका स्वागत है।
भगवान के पास किसी को कुछ भी देने के लिए कोई सामान नहीं है ---
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जो यह "मैं" और "मेरा" है, वह भी सब कुछ भगवान ही हैं। कुछ बचा ही नहीं है। भगवान स्वयं को ही दे सकते हैं, और हम भी स्वयं को ही दे सकते हैं। मैं दुबारा कह रहा हूँ कि उनके सिवाय कोई भी या कुछ भी अन्य नहीं है।
भगवान से आजतक जितनी भी प्रार्थनाएँ की हैं, जो कुछ भी उनसे माँगा है, जितनी भी अभीप्सा थी, उनके साथ साथ सारी महत्वाकांक्षाएँ, अरमान, विचार, भाव, और सारे संकल्प -- अब महत्वहीन हैं। न तो मैं कोई याचक या मंगता-भिखारी हूँ, और भगवान भी कोई सेठ-साहूकर नहीं हैं।
गुरु के प्रति समर्पण कैसे हो?
(प्रश्न) गुरु के प्रति समर्पण कैसे हो?
जिन भी हिन्दू राजाओं ने मुगलों को अपना सहयोग दिया, उन्हें कुछ धन के अतिरिक्त और क्या मिला?
जिन भी हिन्दू राजाओं ने मुगलों को अपना सहयोग दिया, उन्हें कुछ धन के अतिरिक्त और क्या मिला? आमेर के मिर्जा राजा सवाई जयसिंह और उनके पुत्र राजा रामसिंह दोनों को मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने विष देकर मरवा दिया था। यह था उनकी स्वामी-भक्ति का पुरस्कार। मध्य एशिया से आए सभी तुर्क बादशाहों ने हिन्दू राजाओं से संधि कर के उनके सहयोग से ही भारत के कुछ क्षेत्रों में अपना राज्य स्थापित किया था। उनके सहयोग के बिना वे एक दिन भी राज्य नहीं कर सकते थे।