सम्पूर्ण भारत में तमोगुणी विचारधाराओं का सम्पूर्ण नाश हो, और रजोगुण व सतोगुण में निरंतर वृद्धि हो। अधर्म के नाश, व धर्म की विजय के लिए प्रकृति यदि महाविनाश भी करती है, तो उसका स्वागत है।
यह पृथ्वी राक्षसों व राक्षसी विचारधारा से मुक्त हो। भगवान श्रीराम ने भी प्रतिज्ञा की थी कि -- "निसिचर हीन करहुँ महि भुज उठाई पन कीन्ह”॥ (भगवान श्रीराम ने अपनी भुजा उठाकर प्रण किया था कि वे पृथ्वी को राक्षसों से मुक्त कर देंगे।) वही संकल्प हम दुहरा रहे हैं।
धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों मे सद्भावना हो, और विश्व का कल्याण हो --- इसके लिए नित्य प्रार्थना करते हैं। अब शरणागत भाव से समर्पित होकर भगवान से और भी अधिक प्रार्थना करेंगे।
पूरे भारत में राष्ट्रभक्ति जागृत हो। सभी भारतीय सत्यनिष्ठ, कार्यकुशल और धर्मावलम्बी बनें। भारत में कहीं भी अधर्म न रहे।
धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों मे सद्भावना हो, और विश्व का कल्याण हो।
धर्म उन्हीं की रक्षा करेगा, जो धर्म की रक्षा करेंगे। धर्म का पालन ही धर्म की रक्षा है। हम एक शाश्वत आत्मा हैं। आत्मा के स्वधर्म का पालन कीजिए। वर्तमान में चल रहे, और अति शीघ्र ही आने वाले विकट समय में धर्म ही हमारी सदा रक्षा करेगा। परमात्मा की शरणागति लेकर समर्पित भाव में रहें। नित्य नियमित आध्यात्मिक उपासना करते रहें। आपका कोई अहित नहीं होगा। सदा याद रखें कि हमारा लक्ष्य केवल परमात्मा हैं। ॐ तत्सत् !! हरिः ॐ॥
२२ नवंबर २०२४
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