चतुर गधा ---
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एक बार एक कुम्हार का गधा कुएँ में गिर गया| गधा दर्द और पीड़ा के कारण बहुत जोर से चिल्लाया| उसकी पीड़ा से दुखी होकर कुम्हार बहुत विचलित हुआ और सोचने लगा कि गधे को कैसे बचाया जाए| खूब सोच विचार कर वह इस निर्णय पर पहुँचा कि गधा बूढा हो गया है अतः उसे दफना देना ही उचित है|
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एक बार एक कुम्हार का गधा कुएँ में गिर गया| गधा दर्द और पीड़ा के कारण बहुत जोर से चिल्लाया| उसकी पीड़ा से दुखी होकर कुम्हार बहुत विचलित हुआ और सोचने लगा कि गधे को कैसे बचाया जाए| खूब सोच विचार कर वह इस निर्णय पर पहुँचा कि गधा बूढा हो गया है अतः उसे दफना देना ही उचित है|
उसने
अपने पड़ोसियों को बुलाया और सबने फावड़ों में मिटटी भरकर कुएँ को भरना आरम्भ
कर दिया| पहले तो गधा खूब रोया फिर आश्चर्यजनक रूप से शांत हो गया|
कुछ समय पश्चात लोगों ने विस्मित होकर देखा कि गधे पर जब मिटटी पडती है तब वह अपनी कमर को हिला कर मिट्टी नीचे गिरा देता है और एक कदम ऊपर चढ़ जाता है|
कुम्हार के पडोसी कुएँ में मिट्टी डालते रहे और सबने देखा कि गधा ऊपर आ गया और छलाँग लगाकर कुएँ से बाहर निकल गया|
यह संसार है| जीवन में लोग ऐसे ही आप पर कूड़ा कचरा और मिट्टी डालते रहेंगे| उसे स्वीकार मत कीजिये और ऊपर उठते रहिये| कैसे भी हमें हमारे कष्टों के कुएँ से बाहर निकलना है|
हमारे साथ क्या होता है इसका महत्व नहीं है| महत्व इस बात का है हम इन अनुभवों से क्या बनते हैं| हमारी हर पीड़ा और हर कटु अनुभव जीवन में ऊपर उठने की एक सीढ़ी है| गहरे से गहरे कुएँ से हम बाहर निकल सकते हैं| बुराइयों को स्वीकार मत करो और ऊपर उठते रहो|
अपने ह्रदय में घृणा को जागृत ना होने दो ------ प्रतिकार करो या क्षमा कर दो|
दिमाग से सब चिंताओं को मिटा दो --------------तनावमुक्त रहो|
सादा जीवन और उच्च विचार रखो --------------- वासनाओं के पीछे मत भागो|
किसी से कुछ अपेक्षा मत रखो ------------------- स्वावलंबी बनो|
कर्मों का फल था जिससे अनहोनी होनी ही थी -----
कुछ समय बाद चतुर गधा बापस आया और कुम्हार को काट लिया| कुम्हार सेप्टिक और इस अनहोनी से त्रस्त होकर मर गया|
इस कहानी से सीख यही है कि यदि आप किसी का बुरा करते हो तो उस बुरे कर्म का फल आपको कभी छोड़ता नहीं है|
लेखक : अज्ञात
१९ मार्च २०१५
कुछ समय पश्चात लोगों ने विस्मित होकर देखा कि गधे पर जब मिटटी पडती है तब वह अपनी कमर को हिला कर मिट्टी नीचे गिरा देता है और एक कदम ऊपर चढ़ जाता है|
कुम्हार के पडोसी कुएँ में मिट्टी डालते रहे और सबने देखा कि गधा ऊपर आ गया और छलाँग लगाकर कुएँ से बाहर निकल गया|
यह संसार है| जीवन में लोग ऐसे ही आप पर कूड़ा कचरा और मिट्टी डालते रहेंगे| उसे स्वीकार मत कीजिये और ऊपर उठते रहिये| कैसे भी हमें हमारे कष्टों के कुएँ से बाहर निकलना है|
हमारे साथ क्या होता है इसका महत्व नहीं है| महत्व इस बात का है हम इन अनुभवों से क्या बनते हैं| हमारी हर पीड़ा और हर कटु अनुभव जीवन में ऊपर उठने की एक सीढ़ी है| गहरे से गहरे कुएँ से हम बाहर निकल सकते हैं| बुराइयों को स्वीकार मत करो और ऊपर उठते रहो|
अपने ह्रदय में घृणा को जागृत ना होने दो ------ प्रतिकार करो या क्षमा कर दो|
दिमाग से सब चिंताओं को मिटा दो --------------तनावमुक्त रहो|
सादा जीवन और उच्च विचार रखो --------------- वासनाओं के पीछे मत भागो|
किसी से कुछ अपेक्षा मत रखो ------------------- स्वावलंबी बनो|
कर्मों का फल था जिससे अनहोनी होनी ही थी -----
कुछ समय बाद चतुर गधा बापस आया और कुम्हार को काट लिया| कुम्हार सेप्टिक और इस अनहोनी से त्रस्त होकर मर गया|
इस कहानी से सीख यही है कि यदि आप किसी का बुरा करते हो तो उस बुरे कर्म का फल आपको कभी छोड़ता नहीं है|
लेखक : अज्ञात
१९ मार्च २०१५