भारत में महिलाओं की स्थिति .......
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स्त्री और पुरुष दोनों एक ही गाडी के दो पहिये होते हैं| दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं| न तो स्त्री के बिना पुरुष रह सकता है और न पुरुष के बिना स्त्री| स्त्री जहाँ भाव प्रधान है, वहीं पुरुष विवेक प्रधान| मूल रूप से दोनों आत्मा हैं, आत्मा के कोई लिंग नहीं होता|
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भारत में स्त्रियों की स्थिति विदेशी आक्रमणों से पूर्व तक विश्व में सर्वाधिक सम्माननीय थी| भारत की नारियाँ विद्वान् और वीरांगणा होती थीं|
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स्त्री और पुरुष दोनों एक ही गाडी के दो पहिये होते हैं| दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं| न तो स्त्री के बिना पुरुष रह सकता है और न पुरुष के बिना स्त्री| स्त्री जहाँ भाव प्रधान है, वहीं पुरुष विवेक प्रधान| मूल रूप से दोनों आत्मा हैं, आत्मा के कोई लिंग नहीं होता|
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भारत में स्त्रियों की स्थिति विदेशी आक्रमणों से पूर्व तक विश्व में सर्वाधिक सम्माननीय थी| भारत की नारियाँ विद्वान् और वीरांगणा होती थीं|
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भारत पर विदेशी आक्रमणकारी, पुरुषों को मार कर उनकी स्त्रियों का बलात् अपहरण कर लेते थे| आतताइयों द्वारा उन पर बहुत अधिक अत्याचार होता था| या तो वे बेच दी जाती या उन्हें घर में रखैल की तरह रख लिया जाता| इस कारण पर्दाप्रथा और बालविवाह का आरम्भ हुआ| जौहर की प्रथा क्षत्रानियों ने अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए आरम्भ कीं|
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अंग्रेजों ने अपनी सैनिक छावनियों के आसपास वैश्यालय स्थापित किये जहाँ वे भारतीय विधवाओं को बलात् अपहरण कर उन्हें वैश्या बना देते थे ताकि उनके अँगरेज़ सिपाही बापस अपने देश जाने की जल्दी न करें| इस कारण सती प्रथा का आरम्भ हुआ| जहाँ जहाँ अंग्रेजों की छावनियाँ थीं उनके आसपास के क्षेत्रों में ही विधवाएँ आत्मदाह कर लेती थी या उन्हें आत्मदाह के लिए बाध्य कर दिया जाता था| वहीं से सतीप्रथा का आरम्भ हुआ|
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स्त्रियों पर अबसे अधिक अत्याचार यूरोप में ही हुए जहाँ डायन होने के संदेह में करोड़ों महिलाओं की ह्त्या कर दी जाती थी|
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भारत में स्त्रियों की दुर्दशा विदेशी आक्रमणकारियों के कारण ही हुई| पर अब भारत का पुनर्जागरण हो रहा है| पुरुषों के साथ साथ महिलाएँ भी प्रबुद्ध होंगी|
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महिला उत्थान के नाम पर आज जहाँ स्त्री-पुरुष दोनों को एक-दूसरे के विरुद्ध खडा किया जा रहा है उसका मैं विरोध करता हूँ|
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दोनों मिलकर सहयोग और प्रेम से रहें और दोनों मिलकर अपने जीवन के परम लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करें|
ॐ ॐ ॐ ||
भारत पर विदेशी आक्रमणकारी, पुरुषों को मार कर उनकी स्त्रियों का बलात् अपहरण कर लेते थे| आतताइयों द्वारा उन पर बहुत अधिक अत्याचार होता था| या तो वे बेच दी जाती या उन्हें घर में रखैल की तरह रख लिया जाता| इस कारण पर्दाप्रथा और बालविवाह का आरम्भ हुआ| जौहर की प्रथा क्षत्रानियों ने अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए आरम्भ कीं|
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अंग्रेजों ने अपनी सैनिक छावनियों के आसपास वैश्यालय स्थापित किये जहाँ वे भारतीय विधवाओं को बलात् अपहरण कर उन्हें वैश्या बना देते थे ताकि उनके अँगरेज़ सिपाही बापस अपने देश जाने की जल्दी न करें| इस कारण सती प्रथा का आरम्भ हुआ| जहाँ जहाँ अंग्रेजों की छावनियाँ थीं उनके आसपास के क्षेत्रों में ही विधवाएँ आत्मदाह कर लेती थी या उन्हें आत्मदाह के लिए बाध्य कर दिया जाता था| वहीं से सतीप्रथा का आरम्भ हुआ|
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स्त्रियों पर अबसे अधिक अत्याचार यूरोप में ही हुए जहाँ डायन होने के संदेह में करोड़ों महिलाओं की ह्त्या कर दी जाती थी|
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भारत में स्त्रियों की दुर्दशा विदेशी आक्रमणकारियों के कारण ही हुई| पर अब भारत का पुनर्जागरण हो रहा है| पुरुषों के साथ साथ महिलाएँ भी प्रबुद्ध होंगी|
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महिला उत्थान के नाम पर आज जहाँ स्त्री-पुरुष दोनों को एक-दूसरे के विरुद्ध खडा किया जा रहा है उसका मैं विरोध करता हूँ|
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दोनों मिलकर सहयोग और प्रेम से रहें और दोनों मिलकर अपने जीवन के परम लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करें|
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