भगवान का साथ ही सबसे अच्छा है .....
---------------------------------------
जैसे लोगों के साथ हम रहते हैं वैसे ही बन जाते हैं| अच्छा साथ न मिले तो एकान्त में भगवान के साथ रहना अधिक अच्छा है| कौन क्या सोचता है यह उसकी समस्या है| एक साधे सब सधै, सब साधे सब खोय| वाद-विवाद में समय नष्ट न करो| कुसंग का सर्वदा त्याग करो और जो भी समय मिलता है उसमें भगवान की उपासना करो| ध्यान में हमें जितनी अधिक शांति अनुभूत होती है उतने ही हम भगवान के समीप हैं| हम लोग दिन-रात भगवान के बारे में तरह तरह के सिद्धांतों पर चर्चा करते हैं, वह सब निरर्थक है| भगवान तो हमारे समक्ष ही है| उसी को खाओ, उसी को पीओ, उसी में डूब जाओ, उसी का आनंद लो, और उसी में स्वयं को लीन कर दो| हमारे समक्ष कोई मिठाई रखी हो या कोई फल रखा हो, तो बुद्धिमानी उसको खाने में है, न कि उसकी विवेचना करने में| उसी तरह भगवान का भक्षण करो, उसका पान करो, उससे साँस लो और उसी में डूब जाओ|
.
जन्म-जन्मान्तरों में जो कष्ट हमने भोगे हैं वे संसार में अन्य किसी भी प्राणी को नहीं मिलें| संसार में सभी सुखी और निरोग रहें| संसार की सारी पीड़ाएँ और सारे ताप-दाह .... इस देह और मन को हैं, हमें नहीं| हम यह मन और देह नहीं हैं| हमारी निंदा करने वाले सज्जन लोग हमारे कर्मों का भार अपने ऊपर ले कर हमारा उपकार कर रहे हैं| हमें उन सब को साभार धन्यवाद देना चाहिये क्योंकि वे हमारे पापों को हम से छुटा कर स्वयं ग्रहण कर रहे हैं|
.
हमारे शास्त्रों के अनुसार ....
(१) द्वेष रखने वाले दूसरों के पापों का फल भोगते हैं|
(२) पराये धन का चिंतन, किसी के अनिष्ट का चिंतन, और असत्य बात का आग्रह करने से मनुष्य का जन्म नीच योनियों में होता है|
(३) झूठ बोलने वाले, अप्रिय ढंग से बोलने वाले, अनुपस्थित व्यक्ति पर दोषारोपण करने वालों का जन्म पशु-पक्षी की योनी में होता है|
(४) अन्याय से दूसरों की चीज हड़पने वाले, शास्त्र की आज्ञा के विरुद्ध हिंसा करने वाले, परस्त्री/पुरुषगामी अगले जन्मों में पेड़-पौधे बनते हैं|
.
हे प्रभु, यह अंतःकरण और सर्वस्व आपको अर्पित है| हमें आप के सिवाय अन्य कुछ भी नहीं चाहिए| यह पृथकता का बोध समाप्त हो| आपकी जय हो|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ जनवरी २०१९
---------------------------------------
जैसे लोगों के साथ हम रहते हैं वैसे ही बन जाते हैं| अच्छा साथ न मिले तो एकान्त में भगवान के साथ रहना अधिक अच्छा है| कौन क्या सोचता है यह उसकी समस्या है| एक साधे सब सधै, सब साधे सब खोय| वाद-विवाद में समय नष्ट न करो| कुसंग का सर्वदा त्याग करो और जो भी समय मिलता है उसमें भगवान की उपासना करो| ध्यान में हमें जितनी अधिक शांति अनुभूत होती है उतने ही हम भगवान के समीप हैं| हम लोग दिन-रात भगवान के बारे में तरह तरह के सिद्धांतों पर चर्चा करते हैं, वह सब निरर्थक है| भगवान तो हमारे समक्ष ही है| उसी को खाओ, उसी को पीओ, उसी में डूब जाओ, उसी का आनंद लो, और उसी में स्वयं को लीन कर दो| हमारे समक्ष कोई मिठाई रखी हो या कोई फल रखा हो, तो बुद्धिमानी उसको खाने में है, न कि उसकी विवेचना करने में| उसी तरह भगवान का भक्षण करो, उसका पान करो, उससे साँस लो और उसी में डूब जाओ|
.
जन्म-जन्मान्तरों में जो कष्ट हमने भोगे हैं वे संसार में अन्य किसी भी प्राणी को नहीं मिलें| संसार में सभी सुखी और निरोग रहें| संसार की सारी पीड़ाएँ और सारे ताप-दाह .... इस देह और मन को हैं, हमें नहीं| हम यह मन और देह नहीं हैं| हमारी निंदा करने वाले सज्जन लोग हमारे कर्मों का भार अपने ऊपर ले कर हमारा उपकार कर रहे हैं| हमें उन सब को साभार धन्यवाद देना चाहिये क्योंकि वे हमारे पापों को हम से छुटा कर स्वयं ग्रहण कर रहे हैं|
.
हमारे शास्त्रों के अनुसार ....
(१) द्वेष रखने वाले दूसरों के पापों का फल भोगते हैं|
(२) पराये धन का चिंतन, किसी के अनिष्ट का चिंतन, और असत्य बात का आग्रह करने से मनुष्य का जन्म नीच योनियों में होता है|
(३) झूठ बोलने वाले, अप्रिय ढंग से बोलने वाले, अनुपस्थित व्यक्ति पर दोषारोपण करने वालों का जन्म पशु-पक्षी की योनी में होता है|
(४) अन्याय से दूसरों की चीज हड़पने वाले, शास्त्र की आज्ञा के विरुद्ध हिंसा करने वाले, परस्त्री/पुरुषगामी अगले जन्मों में पेड़-पौधे बनते हैं|
.
हे प्रभु, यह अंतःकरण और सर्वस्व आपको अर्पित है| हमें आप के सिवाय अन्य कुछ भी नहीं चाहिए| यह पृथकता का बोध समाप्त हो| आपकी जय हो|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ जनवरी २०१९