Friday, 9 February 2018

सभी प्रश्नों के उत्तर परमात्मा में हैं .....

सभी प्रश्नों के उत्तर परमात्मा में हैं .....
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आप एक बड़ा सा चार्ट पेपर लीजिये और उस पर कहीं भी एक पेंसिल की नोक को सिर्फ छूइए, उससे जो हल्का सा निशान पड़ेगा उस की पूरे चार्ट पेपर से तुलना कीजिये| इस पूरे ब्रह्मांड में हमारी पृथ्वी की स्थिति उस से अधिक नहीं है जो उस पेंसिल के निशान की उस चार्ट पेपर पर है| मनुष्य का अहंकार भी इस पृथ्वी पर उस पूरे चार्ट पेपर पर उस पेंसिल के धब्बे से छोटा ही है| पर जिस तरह जल की एक बूँद महासागर से मिल कर स्वयं भी महासागर ही बन जाती है, वैसे ही जीवात्मा भी परमात्मा में समर्पित होकर स्वयं परमात्मा ही बन जाती है|
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मनुष्य ..... परमात्मा की एक विशेष रचना है, और इस सृष्टि का भी एक विशेष उद्देश्य है| हर मनुष्य की एक शाश्वत जिज्ञासा होती है, अनेक प्रश्न मानस में उठते हैं जिनका कहीं समाधान नहीं होता| उनका समाधान सिर्फ परमात्मा में ही होता है| जैसे एक बालक पहली में, एक चौथी में, और एक कॉलेज में पढता है, सब की समझ अलग अलग होती है| वैसे ही आध्यात्मिक क्षेत्र में है| कौन व्यक्ति कौन से क्रम में है उसी के अनुसार उसकी समझ होती है|
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मेरे लिखने का यह उद्देश्य है कि मन में उठने वाली हर जिज्ञासा और हर प्रश्न का उत्तर परमात्मा स्वयं ही कृपा कर के दे देते हैं| परमात्मा ही कृपा कर के हमारी सब कमियाँ और उन का समाधान भी बता देते हैं| यह मेरा अनुभूत सत्य है| कृ का अर्थ है कृत्य यानि कुछ करना, और पा का अर्थ है पाना| कृपा का अर्थ है कुछ कर के पाना| भगवान की कृपा पाने के लिए भी कुछ तो करना ही होगा जो सभी जानते हैं|
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आप सब परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ साकार रचनाएँ हैं, ज्योतिषांज्योति उस परम ज्योति के साथ एक एक हैं| आप सब को नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ फरवरी २०१८

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