Wednesday, 7 February 2018

ज्ञान और अज्ञान क्या है ? .....

ज्ञान और अज्ञान क्या है ?
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भगवान ने यहाँ ज्ञान क्या है और अज्ञान क्या है, यह स्पष्ट बताया है| निम्न वाक्यों में जो है, वह ज्ञान है, इनके अतिरिक्त जो कुछ भी है वह अज्ञान है|
भगवान कहते हैं :--
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अमानित्वमदम्भित्वमहिंसा क्षान्तिरार्जवम् |
आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्मविनिग्रहः ||१३.८||
इन्दि्रयार्थेषु वैराग्यमनहङ्कार एव च ।
जन्ममृत्युजराव्याधिदुःखदोषानुदर्शनम् ||१३.९||
असक्तिरनभिष्वङ्गः पुत्रदारगृहादिषु ।
नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु ||१३.१०||
मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी ।
विविक्तदेशसेवित्वमरतिर्जनसंसदि ||१३.११||
अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्त्वज्ञानार्थदर्शनम् ।
एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोऽन्यथा ||१३.१२||

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अनेक आचार्यों ने अपनी अपनी समझ से इनकी अति स्पष्ट, सुन्दर व सरल टीकाएँ की हैं| गीता के तेरहवें अध्याय में इनका स्वाध्याय अवश्य करें, तभी ज्ञान और अज्ञान के भेद को समझ पायेंगे|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०७ फरवरी २०१८

2 comments:

  1. विद्वानों से दूर रहें और विद्यावानों का संग करें.
    विद्वानों ने हमारा अनर्थ ही अनर्थ किया है.
    विद्यावान ही हमारा भला कर सकते हैं. ॐ ॐ ॐ

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  2. क्या लिखूं और क्या न लिखूं ?
    यह लिखने का भाव एक अज्ञान है. सारा ज्ञान तो हृदयस्थ परमात्मा में है. बाहर कुछ नहीं है.
    ॐ ॐ ॐ !!

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