Friday 4 November 2016

अन्नकूट महा उत्सव यानि गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभ कामनाएँ .....

अन्नकूट महा उत्सव यानि गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभ कामनाएँ |
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अनेक स्थानों पर इस दिन प्रात:काल में गाय के गोबर से गोवर्धन बना कर पुष्पों, लताओं आदि से सजाया जाता है| | सायंकाल में गोवर्धन की पूजा की जाती है|
गोवर्धन में अपामार्ग अनिवार्य रूप से रखा जाता है|
पूजा के बाद गोवर्धनजी के सात परिक्रमाएं उनकी जय बोलते हुए लगाई जाती हैं| गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं| इनकी नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट देते हैं|
इस दिन प्रात:तेल मलकर स्नान करना चाहिए|
इस दिन पूजा का समय कहीं प्रात:काल है तो कहीं दोपहर और कहीं पर सन्ध्या काल में|
गिरिराज गोवर्धन महाराज की जय ||
श्री गोवर्धन महाराज ,, महाराज ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ।।

तोपे पान चढ़ै तो पे फूल चढ़ै ...और चढ़ै दूध की धारहो धार ।।
तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ ..
तेरे कानन कुण्डल सोय रहयो ...तेरे गल बैजन्ती माल हो माल ।।
तेरेमाथे मुकुट विराज रहयौ ...
तेरे काँधे पै कारी कामरिया...तेरी ठोड़ी पे हीरा लाल हो लाल ।।
तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ ...
तेरे निकट मानसी गँगा है ...जा मेँ न्हाय रहे नर नार हो नार ।।
तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ...
तेरी सात कोस की परिक्रमा मेँ ...है चकलेश्वर विश्राम हो विश्राम ।।
तेरे माथे मुकुटविराज रहयौ ...श्री गोवर्धन महाराज महाराज ।
तेरे माथे मुकुट विराज रहयौ

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