Friday, 4 November 2016

अपनी भावभूमि में वैचारिक कचरा न डालें ......

अपनी भावभूमि में वैचारिक कचरा न डालें ......
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जब आप कोई बगीचा लगाते हैं तो उसमें कंकर-पत्थर नहीं डालते | आपकी भावभूमि भी परमात्मा के लिए लगाया गया एक बाग़ है जिसमें किसी भी तरह का वैचारिक कचरा न डालें |
आध्यात्म मार्ग के पथिकों को टीवी पर आने वाले नाटकों, फिल्मों व गानों को नहीं देखना चाहिए क्योंकी इनसे विक्षेप उत्पन्न होता है |
टीवी के अधिकाँश समाचार चैनल तो अनावश्यक रूप से गलती से भी न देखें क्योंकि इनमें से अधिकाँश में तो विष ही भरा होता है |
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सभी को शुभ कामनाएँ और सादर नमन | ॐ ॐ ॐ ||

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