Saturday, 13 November 2021

परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग ही हिन्दुत्व है ---

 क्या है हिन्दुत्व? इसे दुष्ट प्रकृति के नराधम तमोगुणी नहीं समझ सकते। परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग ही हिन्दुत्व है ---

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आजकल सत्य-सनातन-हिन्दू धर्म पर मर्मांतक प्रहार हो रहे हैं, उसका प्रतिकार हम आध्यात्मिक स्तर पर उपासना द्वारा भी करेंगे। परमात्मा की निज जीवन में पूर्ण अभिव्यक्ति ही हिन्दुत्व है। हिन्दू शब्द का अर्थ है -- हिंसा से दूरी। महाभारत का स्वाध्याय करने से समझ में आता है कि हिंसा है -- मनुष्य का अहंकार और लोभ। जो अहंकार और लोभ से मुक्त है वही परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। इसीलिए अहिंसा को परमधर्म कहा गया है। अहंकार और लोभ से मुक्ति ही अहिंसा है। हम शाश्वत आत्मा हैं, जो अपने कर्मफलों को भोगने के लिए बारंबार पुनर्जन्म लेती है, और अनेक कष्ट पाती है। इस जन्म-मृत्यु के दुष्चक्र से भगवत्-प्राप्ति द्वारा ही मुक्त हो सकते हैं।
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जो भगवत्-प्राप्ति का मार्ग दिखाये वही हिन्दुत्व है। जिसकी चेतना ऊर्ध्वमुखी है, जिसे परमात्मा से प्रेम है, और जो निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करना चाहता है, वह हिन्दू है। जो जीवात्मा को परमात्मा से जोड़ दे, वह हिन्दुत्व है।
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गीता में भगवान हमें स्थितप्रज्ञ होने का उपदेश देते हैं। स्थितप्रज्ञ होने के लिए -- अनुद्विग्नमना, विगतस्पृह, और वीतरागभयक्रोध होना आवश्यक है। इसके लिए तप, यानि साधना/उपासना करनी पड़ती है। जो हमें इसका मार्ग दिखाये वह हिन्दुत्व है।
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आध्यात्मिक, आधिभौतिक और अघिदैविक -- इन तीनों प्रकार के दुःखों से जिसका मन उद्विग्न नहीं होता, उसे "अनुद्विग्नमना" कहते हैं। सुख प्राप्ति की स्पृहा/तृष्णा का नष्ट हो जाना "विगतस्पृह" कहलाता है। सब प्रकार की आसक्ति, भय और क्रोध का नष्ट हो जाना "वीतरागभयक्रोध" कहलाता है। ऐसे गुणोंसे युक्त हो जाने वाला "स्थितधी" यानि "स्थितप्रज्ञ" कहलाता है। जिसने इस स्थिति को प्राप्त कर लिया है, वह "मुनि" व "संन्यासी" है।
यह हिन्दुत्व का मार्ग है जो हमें उच्चतम गुणों से युक्त करता है। सिर्फ हिन्दुत्व ही सिखाता है कि हम उच्चतम गुणों से युक्त होकर परमात्मा को प्राप्त करें। परमात्मा की प्राप्ति ही हिन्दुत्व है। गर्व से कहो "हम हिन्दू हैं।"
ॐ तत्सत्॥ ॐ ॐ ॐ॥
कृपा शंकर
१३ नवंबर २०२१
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पुनश्च ---
सांसारिक चेतना में मैं कुछ भी नहीं हूँ, मेरा कुछ भी नहीं है, मुझे कुछ भी नहीं चाहिये। सर्वसमर्थ प्रभु मेरे अपने हैं, उनसे प्रेम ही मेरा स्वभाव है।
आध्यात्मिक चेतना में मैं मेरे प्रभु के साथ एक हूँ। मैं ही परमप्रेम, आनंद, और परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति हूँ।
यही हिन्दुत्व है। गर्व से कहो हम हिन्दू हैं।
!! ॐ ॐ ॐ !!

1 comment:

  1. हिन्दुत्व व हिंदुओं को आतंकवादी कहने वाले लोग नराधम नरपिशाच हैं.
    कुछ दिनों बाद ये लोग गले में जनेऊ डाल कर घूमते दिखाई देंगे.

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