Tuesday, 23 October 2018

हिन्दू मंदिरों की पवित्रता की रक्षा हो .....

हिन्दू मंदिरों की पवित्रता की रक्षा हो .....
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जिस मंदिर के नियमानुसार मंदिर में दर्शन से पूर्व हर दर्शनार्थी को ४१ दिनों तक तपस्या करनी पड़ती हो ..... शाकाहारी भोजन, भूमि पर शयन और ब्रह्मचर्य के पालन के रूप में ..... फिर तुलसी व रुद्राक्ष की माला पहिन कर नेवैद्य सिर पर रखकर ले जाना पड़ता हो ..... उस मंदिर में उच्चतम न्यायालय के आदेश की अनुपालना करते हुए केरल की मार्क्सवादी अधर्मी सरकार द्वारा अश्रद्धालु और अधर्मी महिलाओं को भारी पुलिस बल के संरक्षण में ...... उन विधर्मी महिलाओं को जो छिपा कर प्रसाद के रूप में मंदिर की पवित्रता भंग करने के लिए अपने साथ मासिक धर्म के खून से सना सेनेट्री नेपकीन पेड और ब्रा लेकर जाती हो ....... उन विधर्मी महिलाओं को जो भगवान की मूर्ति के समक्ष मंदिर में अपने पुरुष मित्र के साथ सम्भोग करना चाहती हो ..... उन विधर्मी महिलाओं को जो सिर्फ देवता का मखौल उड़ाना चाहती हो ..... क्या श्रद्धालुओं का अपमान नहीं है?
मंदिर की पवित्रता की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाल कर एकत्र हुई हज़ारों वयोवृद्ध श्रद्धालु महिलाओं पर लाठीचार्ज कर सैंकड़ों श्रद्धालु महिलाओं को घायल करना कहाँ का धर्म है? लगता है यही मार्क्सवाद है|
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किन महिलाओं को समानता का अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने दिया है? मंदिर की परम्पराओं की रक्षा करने वाली लाखों श्रद्धालु महिलाओं को या इन गिनी चुनी धर्मद्रोही अधर्मी/विधर्मी महिलाओं को?
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अब मार्क्सवादियों का अंत आ गया है| वे इतिहास का विषय बन कर रह जायेंगे|
कृपा शंकर
२१ अक्टूबर २०१८

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