"एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय | रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय ||"
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पेड़ की जड़ को सींचने से ही जैसे पेड़ के सारे फूल और फल प्राप्त किये जा सकते हैं, वैसे ही ....... ज्ञान के एकमात्र स्त्रोत परमात्मा को पाने से ही समस्त ज्ञान-विज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है| ज्ञान का स्त्रोत तो परमात्मा है, पुस्तकें नहीं| पुस्तकें तो मात्र सूचना ही दे सकती हैं| मनुष्य जीवन अति अति अल्प और सीमित है जिसमें ज्ञान के एक अंश को ही जाना जा सकता है| अतः इधर उधर भटक कर समय नष्ट करने की बजाय यथासंभव अधिकाँश समय परमात्मा को ही दिया जाए| इसी में जीवन की सार्थकता है| ॐ ॐ ॐ !!
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पुनश्चः :---
"जाल परे जल जाती बहि, तज मीनन को मोह| रहिमन मछली नीर को, तऊ ना छाड़त छोह|"
जल व मछली से भरे तालाब में मछुआरा जब जाल फेंकता है तब जल तो मछली को छोड़कर जाल से बाहर निकला जाता है, पर मछली जल के मोह से अपना प्राण त्याग देती है| यही मनुष्य की इस संसार में गति है| काल रूपी जाल से संसार तो निकल जाता है पर मनुष्य नहीं|
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पेड़ की जड़ को सींचने से ही जैसे पेड़ के सारे फूल और फल प्राप्त किये जा सकते हैं, वैसे ही ....... ज्ञान के एकमात्र स्त्रोत परमात्मा को पाने से ही समस्त ज्ञान-विज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है| ज्ञान का स्त्रोत तो परमात्मा है, पुस्तकें नहीं| पुस्तकें तो मात्र सूचना ही दे सकती हैं| मनुष्य जीवन अति अति अल्प और सीमित है जिसमें ज्ञान के एक अंश को ही जाना जा सकता है| अतः इधर उधर भटक कर समय नष्ट करने की बजाय यथासंभव अधिकाँश समय परमात्मा को ही दिया जाए| इसी में जीवन की सार्थकता है| ॐ ॐ ॐ !!
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पुनश्चः :---
"जाल परे जल जाती बहि, तज मीनन को मोह| रहिमन मछली नीर को, तऊ ना छाड़त छोह|"
जल व मछली से भरे तालाब में मछुआरा जब जाल फेंकता है तब जल तो मछली को छोड़कर जाल से बाहर निकला जाता है, पर मछली जल के मोह से अपना प्राण त्याग देती है| यही मनुष्य की इस संसार में गति है| काल रूपी जाल से संसार तो निकल जाता है पर मनुष्य नहीं|
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