Tuesday 2 October 2018

हम अनवरत चलते रहें .....

महासागरों में विशाल जलयान (Ocean going ships) चलते हैं वे कभी छोटी-मोटी लहरों से विचलित होकर अपनी दिशा या मार्ग (Course) नहीं छोड़ते| जीवन में कैसी भी परिस्थिति हो, हमें विचलित नहीं होना चाहिए| हम स्वयं की और परमात्मा की दृष्टी में क्या हैं, महत्त्व सिर्फ इसी का है| हमारा लक्ष्य परमात्मा है, उसको पाने के मार्ग पर हम चलते रहें, कभी विचलित न हों|
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बिना पेंदे के मिर्जापुरी लोटे की तरह हम न बनें जिसे कोई किधर भी लुढ़का दे| हम चट्टान की तरह दृढ़ बनें| महासागरों में अकेली खड़ी चट्टानों पर लहरें कितना भयानक आघात करती हैं, पर चट्टान कभी नहीं विचलित होती| वैसे ही हम बनें| हम परशु की तरह तीक्ष्ण भी बनें| कोई हम पर आघात करे तो वह स्वयं ही कट जाए| चाकू खरबूजे पर गिरे या खरबूजा चाकू पर गिरे, कटना खरबूजे को ही है| हमारे में स्वर्ण की सी पवित्रता भी हो| किसी के प्रति कोई दुर्भावना हमारे हृदय में न हो|

जब एक बार यह निश्चय कर लिया है कि हमें कहाँ जाना है तब यह न सोचें कि हमारे साथ कोई और भी चल रहा है या नहीं| हम अनवरत चलते रहें|

०१ अक्टूबर २०१८  

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