Monday 15 January 2018

बच्चों को आत्महत्या की प्रवृति से बचाएँ ....

बच्चों को आत्महत्या की प्रवृति से बचाएँ ....
.
भारत में हर हर वर्ष हजारों विद्यार्थी आत्महत्या कर के अपने प्राण दे देते हैं| समाज के कर्णधारों को इस विषय पर गंभीर चिंतन करना चाहिए| कोई विद्यार्थी आत्महत्या कर के मरता है तब यह न सोचें कि हमारे स्वयं के घर का बालक थोड़े ही है| कल को अपने ही घर का कोई बालक ऐसे करेगा तो दूसरे भी यही कहेंगे|
 .
कुछ दिनों पूर्व राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र में छपे राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ऐक्सीडेंटल डेथ एंड सुइसाइड इन इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ राजस्थान राज्य में ही वर्ष २०१६ में २२१ बालकों ने आत्महत्या की| हर वर्ष औसत लगभग २२५ बालक राजस्थान में आत्महत्या कर के मरते हैं| सब से अधिक आत्महत्या कोचिंग क्लासेस के बच्चे करते हैं| पूरे भारत में तो बहुत अधिक बालक करते होंगे|

इस में मैं अधिकांश दोष बालकों के माँ-बाप को दूँगा, फिर समाज को| हर बालक की दिमागी क्षमता अलग अलग होती है| यदि कोई पढाई में अच्छा नहीं कर पाता तो जीवन के अन्य किसी क्षेत्र में सफल हो सकता है| यह आवश्यक नहीं है कि हर बालक पढाई में होशियार ही हो| उनके ऊपर माँ-बाप का और समाज का बहुत अधिक दबाव रहता है| कई माँ-बाप अपने बालकों को बहुत बुरी तरह पीटते हैं| क्या मारने पीटने से ही बालक अधिक अच्छा पढ़ लिख सकता है ? मानसिक तनाव व अवसाद से बालकों की रक्षा करनी चाहिए| कई बच्चे अपने घर की तरीबी से तंग आकर और कई बच्चे प्रेम प्रसंगों में भी आत्महत्या करते हैं| आत्महत्या की प्रवृत्ति से बच्चों को बचाना चाहिए|

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ जनवरी २०१८

No comments:

Post a Comment