Tuesday 20 November 2018

अफगानिस्तान में भारत की उपस्थिति भारत की एक कूटनीतिक परीक्षा है .....

एक बात अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की कर रहा हूँ जो भारत के लिए बहुत खतरनाक है, वह है अफगानिस्तान में खूंखार आतंकी संगठन ISIS (इस्लामिक स्टेट) का बड़ी तेज़ी से फ़ैलाव| अफगानिस्तान पर जब पूर्व सोवियत संघ ने अधिकार कर लिया था वह भारत के हित में एक बहुत ही महत्वपूर्ण और अच्छी घटना थी| पर भारत की तत्कालीन सरकार ने इसका समर्थन नहीं किया| भारत की तत्कालीन सरकार की सहानुभूति दुर्भाग्य से पकिस्तान से अधिक थी| पाकिस्तान के विरुद्ध पूर्व सोवियत संघ का उपयोग किया जा सकता था| पकिस्तान की सीमाओं पर सोवियत संघ की उपस्थिति पाकिस्तान के अस्तित्व को ही मिटा सकती थी|
.
अमेरिका ने सोवियत संघ को अफगानिस्तान से हटाने के लिए अपनी पूरी शक्ति झोंक दी| अमेरिका ने ही तालिबान को जन्म दिया, और पाकिस्तान को खूब आर्थिक और सैन्य सहायता दी| इसका परिणाम हुआ कि एक लम्बे युद्ध के उपरांत सोवियत संघ को अफगानिस्तान से हटना पड़ा और वहाँ तालिबान का भारत विरोधी शासन स्थापित हुआ जो अंततः अमेरिका का भी घोर विरोधी हो गया| अमेरिका को वहाँ अपनी सेना भेज कर तालिबानी शासन को हटाना ही पड़ा| अमेरिका के हज़ारों सैनिक मरे और बहुत अधिक खर्चा हुआ| अंततः अमेरिका को भी वहाँ से हटना ही पड़ा| इस का सबसे अधिक लाभ पाकिस्तान को हुआ| इस बीच इस कारण व कुछ अन्य कारणों से सोवियत संघ का भी विघटन हो गया था|
.
वर्तमान में स्थिति यह है कि अफगानिस्तान भारत का एक मित्र देश है जहाँ भारत ने अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं में बहुत अधिक निवेश कर रखा है| पर यह पकिस्तान को स्वीकार्य नहीं है| पाकिस्तान की तालिबान से भी नहीं बन रही है, इसका कारण यह है कि पकिस्तान की सहानुभूति ISIS (इस्लामिक स्टेट) से अधिक है| 'इस्लामिक स्टेट' और तालिबान एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन चुके हैं, उनमें सैंकड़ों झड़पें हो चुकी हैं जिन में उन के हज़ारों लड़ाके मारे गए हैं| पकिस्तान भारत के विरुद्ध इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों का प्रयोग करना चाहेगा|
.
राजनीति में कोई स्थाई शत्रु-मित्र नहीं होते| तालिबान जो कल तक रूस का परम शत्रु था, आज रूस का मित्र है| तालिबान और रूस में तीन वर्ष पूर्व ताजिकिस्तान में शिखर वार्ता भी हो चुकी है| रूस कभी भी यह सहन नहीं करेगा कि इस्लामिक स्टेट का प्रभाव किसी मध्य एशिया के देश में फैले| अब रूस तालिबान की सहायता से इस्लामिक स्टेट को समाप्त कर देना चाहता है| अगर इस्लामिक स्टेट अफगानिस्तान में शक्तिशाली हो जाता है तो यह भारत, ईरान और रूस के लिए बड़ा खतरा होगा| अमेरिका की नीति अफगानिस्तान में विफल रही है और रूस इसका अब पूरा लाभ उठाएगा| क्रीमिया और सीरिया में भी रूस के विरुद्ध अमेरिकी नीति विफल रही है| अफगानिस्तान में रूस निश्चित रूप से 'इस्लामिक स्टेट' के खात्मे के लिए दखल देगा| मध्य एशिया के देश रूस के साथ हैं| इस कार्य के लिए रूस तालिबान की सहायता ले सकता है|
.
भारत को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि इस्लामिक स्टेट, अफगानिस्तान में अपना अड्डा न बनाए| इस्लामिक स्टेट एक विकराल दैत्य है, जो भारत के लिए बहुत खतरनाक है|अफगानिस्तान में भारत की उपस्थिति भारत की एक कूटनीतिक परीक्षा है|
कृपा शंकर
१९ नवम्बर २०१८

No comments:

Post a Comment