Tuesday 27 November 2018

मृत देह का अंतिम संस्कार और आगे के सारे कर्मकांड बहुत अधिक मंहगे होते हैं ....

जब कोई भी प्रारब्धवश या अपना समय आने पर अपनी देह का त्याग करता है, सांसारिक भाषा में कहें तो .... मरता है, तब उसके परिवार जनों को बहुत अधिक कष्ट होता है| मृत देह का अंतिम संस्कार और आगे के सारे कर्मकांड बहुत अधिक मंहगे होते हैं| गरीब लोगों को तो बहुत अधिक कष्ट होता है| वे कहीं से भी रुपया लेकर कर्मकांड करते हैं और कर्ज के नीचे दब जाते हैं| इस का कोई न कोई समाधान तो अवश्य हो सकता ही है| वह क्या हो सकता है इस पर समाज के कर्णधारों को विचार करना चाहिए|
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देहरादून के ब्रह्मलीन स्वामी ज्ञानानंद गिरी महाराज ने मुझे अपने एक गुजराती साधक मित्र के बारे में बताया था जो गुजरात के जूनागढ़ जिले के एक छोटे से गाँव में रहते थे| उन्होंने जब देहत्याग किया तब स्वतः ही उनकी मृत देह बिस्तर पर ही जल कर भस्म हो गयी और राख में परिवर्तित हो गयी| न तो बिस्तर जला और चद्दर पर कोई निशान तक नहीं पड़ा| कहते हैं कि कबीर जब मरे तो उनकी मृत देह फूलों में परिवर्तित हो गयी थी|
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भौतिक विज्ञान में सिद्धांत रूप से यह संभव है यदि हम किसी विद्या से अणुओं की संरचना को परिवर्तित कर सकें| हर पदार्थ अणुओं से बना है, एक पदार्थ की दूसरे पदार्थ से भिन्नता इसी पर निर्भर है कि उस के अणु में कितने इलेक्ट्रान हैं| अंततः अणु भी ऊर्जा से ही निर्मित हैं| इस ऊर्जा के पीछे भी परमात्मा का एक विचार और संकल्प है| परमात्मा के उस विचार यानी संकल्प से जुड़ कर किसी भी भौतिक रचना को परिवर्तित किया जा सकता है| वाराणसी में स्वामी विशुद्धानंद सरस्वती नाम के संत हुए हैं जिनमें यह सिद्धि थी कि वे सूर्य की किरणों से एक पदार्थ को दूसरे पदार्थ में परिवर्तित कर दिया करते थे| वे गंधबाबा के नाम से प्रसिद्ध थे, जिसको भी आशीर्वाद देते उसके हाथों में मनचाहे फूलों की गंध आने लगती थी| परमहंस योगानंद ने अपनी विश्वप्रसिद्ध पुस्तक 'योगी कथामृत' में उनके ऊपर एक पूरा अध्याय ही लिखा है| गंधबाबा के बारे में महामहोपाध्याय पंडित गोपीनाथ कविराज ने, और अँगरेज़ पत्रकार पॉल ब्रंटन ने भी अपनी विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "इन सर्च ऑफ़ सीक्रेट इंडिया" में खूब लिखा है|
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मेरे यह सब लिखने का अभिप्राय यह है कि ऐसी कोई विद्या अवश्य ही होगी जिसका प्रयोग करने पर व्यक्ति अपनी मृत देह के अणुओं की संरचना को विखंडित कर सके ताकि उसके परिवार जनों को कोई आर्थिक कष्ट न हो|
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सभी को धन्यवाद ! ॐ नमो नारायण !
कृपा शंकर
२२ नवम्बर २०१८

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