Tuesday 27 November 2018

साधना में आने वाली बाधाओं का निवारण .....

साधना में आने वाली बाधाओं का निवारण .....
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साधना में आ रही समस्त बाधाओं का एकमात्र कारण अज्ञान रूपी आवरण व विक्षेप है| इस का तुरंत और एकमात्र समाधान है ..... सत्संग, सत्संग और निरंतर सत्संग| अन्य कोई समाधान नहीं है| परमात्मा से परमप्रेम और उन का निरंतर स्मरण ..... सबसे बड़ा सत्संग है| कर्ताभाव को त्याग दो और बाधादायक किसी भी परिस्थिति को तुरंत नकार दो| एक सात्विक जीवन जीओ और आध्यात्मिक रूप से उन्नत लोगों के साथ रहो| अपने ह्रदय में पूर्ण अहैतुकी परम प्रेम के साथ अपने अस्तित्व को गुरु व परमात्मा के प्रति समर्पित करने का निरंतर अभ्यास करते रहो|
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हठयोग की कुछ मुद्राएँ, आसन और क्रियाएँ, साधना में बहुत अधिक सहायक हैं जिन्हें किसी दक्ष और अधिकृत योगाचार्य से ही सीखनी चाहिएँ, हर किसी से नहीं| साधना में दो बातें बहुत अधिक आवश्यक हैं ..... एक तो कमर सदा सीधी रहे, यानी मेरुदंड सदा उन्नत रहे, और साधना के समय नाक से सांस चलती रहे| कमर सीधी रहे इसके लिए पश्चिमोत्तानासन जैसे आसनों का अभ्यास है| नाक से सांस चलती रहे, इस के लिए हठयोग में अनेक उपाय हैं जैसे अनुलोम-विलोम प्राणायाम, नासिका से की जाने वाली जलनेति, जलधौती आदि| यदि नाक में कोई एलर्जी आदि की समस्या है तो इसका उपचार किसी अच्छे नाक-कान-गले के शल्य चिकित्सक से करवाएँ| जीभ को सदा ऊपर की ओर मोड़ कर रखने का प्रयास करते रहो| यदि संभव हो तो खेचरी मुद्रा का अभ्यास किसी अधिकृत दक्ष योगाचार्य के निर्देशन में कीजिये| खेचरी मुद्रा सिद्ध होने पर ध्यान खेचरी मुद्रा में ही कीजिये| खेचरी मुद्रा के इतने लाभ हैं कि यहाँ उन्हें बताने के लिए स्थान कम पड़ जाएगा|
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कोई भी साधना करने से पूर्व अपने गुरु और परमात्मा से उनके अनुग्रह के लिए प्रार्थना अवश्य करें| ऊनी कम्बल के आसन पर पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर बैठें| समय हो तो साधना से पूर्व हठयोग के कुछ आसन और प्राणायाम के अभ्यास अवश्य कर लीजिये| इस से नींद की झपकियाँ नहीं आयेंगी| शुभ कामनाएँ और नमन !
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ नमः शिवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२७ नवम्बर २०१८

1 comment:

  1. जीवन का सार आध्यात्म में ही है ....
    मार्क्सवाद/साम्यवाद, समाजवाद, पूँजीवाद और धर्मनिरपेक्षतावाद ..... ये सब घोर भौतिकवादी व्यवस्थाएँ अब अपने अंतिम चरण में समाप्ति की ओर तीब्रता से अग्रसर हैं| इन से मानवता का कोई कल्याण नहीं हुआ है| जीवन का सार आध्यात्म में ही है|

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