Tuesday, 27 November 2018

ISKCON (इस्कोन) के पक्ष में .....

ISKCON (इस्कोन) के पक्ष में .....
----------------------------------
मैं सन १९८१ में पहली बार इटली गया था जो कट्टर रोमन कैथोलिक ईसाईयों का देश है| उनके प्रायः हर बड़े नगर में ISKCON द्वारा संचालित FM रेडियो स्टेशन हैं जो दिन में कई बार निश्चित समय पर कृष्ण भजन प्रसारित करते हैं| रोम के वेटिकन में सैंट पीटर्स के बाहर भी मुझे कृष्ण भक्ति का प्रचार करने वाले इस्कोन के सदस्य मिले हैं|
.
सन १९८७-८८ की बात है| युक्रेन के ओडेसा नगर में मैं कहीं घूमने गया था| उस समय वहाँ साम्यवादी शासन था और किसी भी धर्म के पालन पर प्रतिबन्ध था| एक पार्क में से महामंत्र (हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे) की आवाज सुनाई दी| वहाँ जा कर देखा तो अनेक युवा लडके-लड़कियाँ साम्यवादी शासन को चुनौती देते हुए बड़े साहस से महामंत्र का जाप कर रहे थे|
.
यूरोप के कई नगरों में मुझे इस्कोन के अनुयायी मिले हैं| एक बार मैं कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के एक नगर में था| एक ईसाई पादरी मेरा अच्छा मित्र बन गया था| मैनें उस से मुझे किसी हिन्दू मंदिर में ले चलने का आग्रह किया| अगले दिन मौसम बड़ा खराब था, बर्फ भी गिर रही थी और कुछ कुछ पानी के छींटे भी पड़ रहे थे| नियत समय पर वह पादरी आया और लगभग एक-डेढ़ घंटे कार चलाकर एक हिन्दू मंदिर में ले गया जो इस्कॉन का था| मंदिर की व्यवस्था देखकर वह पादरी बहुत प्रभावित हुआ| वहाँ के रेस्टोरेंट में मैंने उसे शुद्ध शाकाहारी भोजन खिलाया| कुछ दिनों के बाद उस पादरी की चिट्ठी आई| उसने बताया कि उसे शाकाहारी खाना बहुत अच्छा लगा और दुबारा वह अपनी पत्नी के साथ (प्रोटेस्टेंट पादरी विवाह करते हैं) वहाँ खाना खाने गया और दोनों को ही शाकाहारी खाना इतना अच्छा लगा कि वे शाकाहारी हो गए हैं|
.
बहुत पहिले मुझे एक रूसी मित्र ने बताया था कि रूस की सरकार सबसे अधिक हरे-कृष्ण वालों से डरती है| उनको जेल में डालती है तो वहाँ वे लोग छूत की बीमारी की तरह फैलते हैं और वहाँ के सारे कैदी हरे कृष्णा हो जाते हैं|
.
मेरा सगा भतीजा जो एक बहुत बड़ा इंजिनियर है, अचानक ही इस्कॉन में साधू बन गया| मैं उस से मिलने गया तो पाया कि उस से वरिष्ठ साधू तो बहुत अधिक उच्च शिक्षा प्राप्त इंजिनियर हैं|
.
अपने अनुभवों से मैं ISKCON (इस्कॉन) का समर्थक हूँ, हालांकि मैं उनका भाग नहीं हूँ, मेरी स्वाभाविक रूचि वेदांत दर्शन में है|
सभी को धन्यवाद और नमन !
कृपा शंकर
२४ नवम्बर २०१८

No comments:

Post a Comment