Tuesday 27 November 2018

क्रीमिया प्रायदीप का वर्तमान विवाद और और उसके कारण :----

क्रीमिया प्रायदीप का वर्तमान विवाद और और उसके कारण :----
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पूर्वी यूरोप में रूस और युक्रेन के मध्य चल रहा विवाद एक ऐसी वास्तविकता है जिस की मेरे लिए कल्पना करना भी बड़ा कठिन है| पूर्व सोवियत संघ में रूस के बाद युक्रेन सबसे बड़ा और उपयोगी घटक था| रूस में उपजाऊ भूमि की बड़ी कमी थी जब कि युक्रेन पूरे सोवियत संघ के लिए एक अन्नदाता गणराज्य था| सोवियत संघ की सेनाओं और प्रशासन में कई बड़े बड़े अधिकारी और कर्मचारी युक्रेन के थे| युक्रेन और रूस के युवक युवतियों में विवाह बहुत सामान्य था| एक दूसरे के यहाँ उनके हजारों परिवार बसे हुए हैं| सोवियत संघ के विघटन के समय क्रीमिया युक्रेन के अधिकार में था जिस पर रूस ने सैनिक हस्तक्षेप के द्वारा नीचे लिखे कारण से अपने अधिकार में ले लिया| तब से कभी परम मित्र रहे दोनों गणराज्य अब एक दूसरे के शत्रु बन गए हैं|
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काला सागर के भीतर ही क्रीमिया प्रायदीप के उत्तर-पूर्व में एक छोटा सा भूमि से घिरा अज़ोव सागर है जिस में जाने का एकमात्र मार्ग "कर्च जलडमरूमध्य" है| उसके पास ही उत्पन्न हुआ एक विवाद बहुत अधिक गहरा गया है| अजोव सागर के उस भाग में जिसे रूस अपना मानता है, रूस द्वारा यूक्रेन के समुद्री जहाज जब्त करने और नाविकों को बंधक बनाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है, और रूस की इस कार्रवाई का अमेरिका व यूरोपीय संघ ने विरोध कर चेतावनी दी है| यूक्रेन की संसद ने तनाव को देखते हुए सीमावर्ती इलाकों में मार्शल लॉ लागू किया है| संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई गई है, और अमेरिका ने कार्रवाई की चेतावनी दी है|
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यह क्षेत्र भारत से दूर अवश्य है पर वहाँ वहाँ होने वाली किसी भी घटना का भारत पर प्रभाव अवश्य पड़ता है| सन १८५३ में आरम्भ हुए क्रीमिया के युद्ध में ब्रिटेन का बहुत बुरा हाल हुआ था| इस के पश्चात भारतीयों में विश्वास उत्पन्न हुआ कि ब्रिटेन अजेय नहीँ है, और १८५७ में भारत का प्रथम स्वतंत्रता सग्राम हुआ|
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उस क्षेत्र में रोमानिया, युक्रेन, तुर्की और रूस में मेरा जाना दो-तीन बार हुआ है अतः उस पूरे क्षेत्र का भूगोल मेरे दिमाग में है|
मानचित्र में देखने के लिए निम्न लिंक को दबाएँ .....
https://www.google.com/…/data=!4m5!3m4!1s0x40eac2a37171b3f7…
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क्रीमिया का युद्ध जुलाई १८५३ से सितम्बर १८५५ तक काला सागर (Black Sea) के आसपास हुआ था, जिस में फ्रांस, ब्रिटेन, सारडीनिया, और तुर्की एक तरफ़ थे तथा रूस दूसरी तरफ़ था| क्रीमिया की लड़ाई को इतिहास के सर्वाधिक मूर्खतापूर्ण तथा अनिर्णायक युद्धों में से एक माना जाता है जिस में बेहद खून खराबे के बाद भी नतीजा कुछ भी नहीं निकला था|
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क्रीमिया का संक्षिप्त वर्तमान इतिहास :--- १०,१०० वर्गमील में फैले क्रीमिया प्रायदीप का महत्त्व पूर्वी यूरोप में बहुत अधिक रहा है| यूनानी, स्किथी, गोथ, हूण, ख़ज़र, बुलगार, तुर्क, मंगोल और बहुत सी जातियों के साम्राज्यों ने समय समय पर क्रीमिया पर अधिकार किया है| कभी तातार मुसलमानों का यह क्षेत्र था जिन में से अधिकाँश को रूसी तानाशाह जोसेफ़ स्टालिन ने उजाड़ कर बलात् मध्य एशिया के वर्तमान तातारिस्तान गणराज्य में बसा दिया जो अब रूस का भाग है| अब यहाँ की जनसंख्या में १३% तातार मुसलमान हैं, और बाकी ८७% रूसी मूल के ईसाई हैं| क्रीमिया १८ वीं सदी से रूस का भाग था जिसे सन १८५४ में तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति ख्रुश्चेव ने यूक्रेन को भेंट कर दिया था|
२६ फरवरी २०१४ को सशस्त्र रूसी समर्थकों ने क्रीमिया के सरकारी भवनों पर अधिकार कर के स्वयं को युक्रेन से मुक्त होने की घोषणा कर दी| २ मार्च २०१४ को रूस ने वहाँ अपनी सेना भेज दी जिस से पूरे विश्व में हलचल मच गयी| ६ मार्च २०१४ को क्रीमिया की संसद ने रूसी संघ में शामिल होने का प्रस्ताव पास कर दिया, जिस पर १८ मार्च २०१४ को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हस्ताक्षर कर दिए| इस तरह क्रीमिया रूस का भाग बन गया|
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कृपा शंकर
२७ नवम्बर २०१८
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पुनश्चः :--- भूमध्य सागर से काला सागर में प्रवेश का एकमात्र मार्ग 'बास्फोरस' और 'दर्रा दानियल' है जो तुर्की के अधिकार में है| इस मार्ग को तुर्की बंद नहीं कर सकता क्योंकि बुल्गारिया, रोमानिया, माल्दोवा, युक्रेन, जॉर्जिया और रूस के क्रीमिया सहित क्षेत्र का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार इसी मार्ग से होता है| इस से निकट के अन्य देशों जैसे अज़रबेजान व आर्मेनिया के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर भी इस क्षेत्र का प्रभाव पड़ता है| रूस की काला सागर स्थित नौसेना भी आणविक अस्त्रों से युक्त बहुत शक्तिशाली है| संकट की स्थिति में ये देश अपना पुराना द्वेष भुलाकर रूस के साथ हो जाएँगे क्योंकी तुर्की से इनकी पारंपरिक शत्रुता रही है|

बास्फोरस जलडमरूमध्य और दर्रा दानियल एशिया और योरोप को जोड़ते हैं| इस जलडमरूमध्य के दोनों ओर वर्तमान इस्ताम्बूल नगर है जो पहले कुस्तुन्तुनिया के नाम से जाना जाता था| योरोप का भारत से सारा व्यापार कुस्तुन्तुनिया के मार्ग से ही होता था| जब तुर्कों ने इस पर अपना अधिकार कर लिया उसके पश्चात् ही बाध्य होकर योरोप को जलमार्ग से भारत की खोज करनी पड़ी थी|

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