Thursday 6 January 2022

गुरु महाराज की जय हो ---

 गुरु महाराज की जय हो ---

"ब्रह्मानंदं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं । द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम्॥
एकं नित्यं विमलंचलं सर्वधीसाक्षीभूतम्। भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि॥"
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गुरु महाराज के बारे में क्या लिखूँ? इस समय तो वे इस विमान (इस देह और अन्तःकरण) के चालक हैं। वे स्वयं यह विमान भी हैं। सहस्त्रार चक्र में एक ज्योति के रूप में उनके चरण-कमलों के दर्शन हो रहे हैं। वे अमर हैं, और परमात्मा के साथ एक हैं। किसी भी तरह का नाम-रूप और देश-काल का बंधन उन पर नहीं है। गुरु, शिष्य और परमात्मा में कोई भेद नहीं है। सभी एक हैं।
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गुरुकृपा से इस समय भगवान के परमप्रेम में डूब गया हूँ। चारों ओर भगवान के सिवाय कुछ भी अन्य नहीं रहा है। मेरी चेतना में इस समय सिर्फ भगवान हैं। उन के परमप्रेम में ही मेरी अवशिष्ट लोकयात्रा समर्पित है। इस संसार के किसी काम का मैं अब नहीं रहा हूँ, इसलिए सब को नमन कर रहा हूँ।
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ॐ श्री गुरवे नमः ! ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ जनवरी २०२२

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