Monday 18 October 2021

हमारा चरित्र, श्वेत कमल की भाँति इतना उज्जवल हो, जिसमें कोई धब्बा ना हो ---

 

हमारा चरित्र, श्वेत कमल की भाँति इतना उज्जवल हो, जिसमें कोई धब्बा ना हो| हमारे आदर्श और हमारा चिंतन उच्चतम हो| यह तभी संभव है जब हम भगवान के प्रति समर्पित हों| जिस क्षण हमें भगवान की याद आती है, वह क्षण बहुत अधिक शुभ होता है| उस क्षण कोई देश-काल या शौच-अशौच का बंधन नहीं होता| भगवान से एक क्षण का वियोग भी मृत्यु-तुल्य है| भगवान के लिये एक बेचैनी, तड़प और घनीभूत प्यास बनाए रखें|
कीटक नाम का एक साधारण सा कीड़ा भँवरे से डर कर कमल के फूल में छिप जाता है| भँवरे का ध्यान करते करते वह स्वयं भी भँवरा बन जाता है| वैसे ही हम भी निरंतर भगवान का ध्यान करते करते उन के साथ एक हो जाते हैं|
भगवान की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति आप सब को नमन!!
१८ अक्तूबर २०२०

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