Monday 18 October 2021

दशहरा की अनंत शुभ कामनाएं। एक स्मृति ग्रेट निकोबार की ---

आजकल धार्मिक/आध्यात्मिक/देशभक्ति व सब तरह के लेख लिखना बंद कर दिया है। आज दशहरे का अभिनंदन किये बिना नहीं रह सका अतः दशहरे का अभिनंदन भी कर रहा हूँ, और बधाई व शुभ कामनाओं के साथ-साथ एक पुराना यात्रा वृतांत भी साझा कर रहा हूँ। आजकल किसी से किसी भी तरह की अनावश्यक बातचीत और मेलजोल बंद कर रखा है। भगवान से प्रेरणा तो मुझे यही मिल रही है कि इस वृद्धावस्था में ईश्वर के ध्यान-चिंतन में ही सारा समय बिताया जाए और ईश्वर का चिंतन करते-करते ही जब भी समय आए तब इस देह का त्याग भी कर दिया जाए। भगवान की इच्छा होगी तो वे आर्त-सन्यास भी दिला देंगे।
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यह संसार द्वैत से बना है जहाँ बुराई और भलाई दोनों ही साथ-साथ रहेंगी। यदि संसार में सिर्फ भलाई, या सिर्फ बुराई ही रह जाए तो यह संसार उसी समय नष्ट हो जाएगा। कहते हैं कि दशहरे का त्योहार सत्य पर असत्य की विजय का प्रतीक है। लेकिन रावण भी उतना ही सत्य है जितने भगवान श्रीराम। हमारी काम-वासना, क्रोध, लोभ और अहंकार -- ही रावण है, जो हमारे अवचेतन मन में रहता है। भगवान का निवास हमारे हृदय में है। श्रीराम -- सच्चिदानंद ब्रह्म हैं, जिनमें समस्त योगी और भक्त सदैव रमण करते हैं। सीताजी -- भक्ति हैं, और अयोध्या -- हमारा हृदय है। राम को पाने के लिए हमें जगन्माता सीता जी (भक्ति) का आश्रय लेना ही होगा। अहेतुकी परमप्रेम जागृत कर अपने अहंभाव का सम्पूर्ण समर्पण भगवान को करना होगा, तभी यह रावण हमारे चित्त से हटेगा। जरा सी भी असावधानी से ये फिर बापस आ जाएगा। अपने अवचेतन मन में स्थायी रूप से राम को प्रतिष्ठित करना ही रावणवध है।
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भारत के सबसे दक्षिणी भाग की यात्रा का अवसर सन २००१ में मुझे दो बार मिला है। उसकी बड़ी मधुर स्मृति है। कई अच्छी व बुरी बातें स्मृति में आती हैं। ग्रेट निकोबार द्वीप के समुद्र तट विश्व के सबसे शानदार और सबसे सुरक्षित समुद्र तटों में से हैं। विदेशी पर्यटकों को यहाँ आने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं हैं। वहाँ के वीरान समुद्र तटों पर और जंगलों में मैं अकेला ही कई दिनों तक नित्य निर्भय होकर घूमने जाता था, क्योंकि कोई हिंसक जीव वहाँ नहीं होते। कोई चोर व डकैत भी नहीं होते। एक बार मुझे लगा कि वहाँ कोई जंगली सूअर है तो दूसरे दिन आत्मरक्षा के लिए एक बल्लम हाथ में लेकर गया जिससे आत्मरक्षा का पूरा मुझे पूरा अभ्यास था। लेकिन उसकी आवश्यकता कभी नहीं पड़ी। फिर वहाँ के स्थानीय लोगों ने बताया कि डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। वहाँ कोई जंगली सूअर नहीं होते। दूर से किसी जंगली हिरण को मैंने सूअर समझ लिया होगा।
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वहाँ के इतिहास के अनुसार दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य के राजा राजेन्द्र चोल का साम्राज्य पूरे इंडोनेशिया और पूरे विएतनाम पर था। वे एक बार केरल से दस सहस्त्र सैनिकों के साथ इस द्वीप पर पधारे थे, और यहाँ एक सहस्त्र रुद्राक्ष के पेड़ लगवाये। रुद्राक्ष के पेड़ की आयु दो हजार वर्ष होती है। उनके समय के पाँच सौ से अधिक रुद्राक्ष के वृक्ष अभी भी जीवित हैं।
१४ अक्तूबर २०१८ को मैंने अपनी उस यात्रा पर एक लेख लिखा था, जिसे यहाँ शेयर कर रहा हूँ ---
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एक स्मृति इंदिरा पॉइंट की .....
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भारत के सबसे दक्षिणी भाग का नाम "इंदिरा पॉइंट" है| यह नाम स्वयं इंदिरा गाँधी ने दिया था| इस से पूर्व इस स्थान का नाम पिग्मेलियन पॉइंट था| यह बहुत सुन्दर एक छोटा सा गाँव है| नौसेना, वायुसेना व कुछ अन्य विभागों के सरकारी कर्मचारी भी यहाँ रहते हैं| यहाँ के प्रकाश-स्तम्भ पर चढ़ कर बहुत सुन्दर दृश्य दिखाई देते हैं| मैं सन २००१ में वहाँ गया था| बाद में २००४ में आई सुनामी में यह प्रकाश स्तम्भ थोड़ा सा हटकर पानी से घिर गया था| इस सुनामी में यहाँ के २० परिवार, चार वैज्ञानिक और बहुत सारे सरकारी कर्मचारी मारे गए थे|
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यहाँ के जंगलों में मैनें एक विशेष अति सुन्दर चिड़िया की तरह के पक्षी देखे जो भारत में अन्यत्र कहीं भी दिखाई नहीं दिये| ऐसे ही एक विशेष शक्ल के बन्दर देखे जो भारत में अन्यत्र कहीं भी नहीं दिखाई दिए| एक समुद्र तट यहाँ है जिस की रेत में अंडे देने के लिए कछुए ऑस्ट्रेलिया तक से आते हैं| यह स्थान अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में ग्रेट निकोबार द्वीप पर निकोबार तहसील की लक्ष्मी नगर पंचायत में है|
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ग्रेट निकोबार द्वीप पर सबसे बड़ा स्थान "कैम्पवेल बे" है जो अच्छी बसावट वाला छोटा सा नगर है| सारी सुविधाएँ यहाँ उपलब्ध हैं| यहाँ तमिलनाडू से आकर बहुत लोग बसे हैं जो सब हिंदी बोलते हैं| यहाँ के समुद्र तट बहुत ही सुन्दर हैं जहाँ प्रातःकाल घूमने का बड़ा ही आनंद आता है| तीन-चार हिन्दू मंदिर और एक ईसाई चर्च भी यहाँ है| 'कैम्पवेल बे' नगर में आने के लिए पोर्ट ब्लेयर से पवनहंस हेलिकोप्टर सेवा है| सप्ताह में एक दिन एक यात्री जलयान भी पोर्ट ब्लेयर से यहाँ आता है| यहाँ रुद्राक्ष के पेड़ बहुत हैं और रुद्राक्ष खूब मिलता है| अब तो व्यवसायिक रूप से यहाँ ताड़ के पेड़ और जायफल/जावित्री के पौधे भी खूब बड़े स्तर पर लगाए गए हैं| यहाँ के शास्त्री नगर से इंदिरा पॉइंट की दूरी २१ किलोमीटर है जो सड़क से जुड़ा हुआ है| मार्ग में गलाथिया नाम की एक नदी भी आती है जिस पर पुल बना हुआ है|
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यहाँ से सिर्फ १६३ किलोमीटर दक्षिण में इंडोनेशिया में सुमात्रा का सबांग जिला है जहाँ भारत के सहयोग से एक नौसैनिक अड्डा बनाए जाने की योजना है, जो लीज पर भारत के आधीन रहेगा| मैं अंडमान-निकोबार के कई द्वीपों में गया हूँ जिनमें से कुछ तो अविस्मरणीय हैं| विएतनाम तो कभी जाने का अवसर नहीं मिला, लेकिन मलयेशिया, इन्डोनेशिया और सिंगापूर का भ्रमण किया है।
कृपा शंकर
१४ अक्टूबर २०१८
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आप सब को दशहरा की अनंत शुभ कामनाएं। परमब्रह्म भगवान श्रीराम का स्थायी निवास आपके हृदय-मंदिर में हो। ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१५ अक्तूबर २०२१

 

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