हम नवरात्रि के त्योहार क्यों मनाते हैं?
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आध्यात्मिक दृष्टि से भारतीय संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण पर्व 'नवरात्री' है जो वर्ष में दो बार मनाया जाता है| इसमें हम भगवान के मातृ रूप की दुर्गादेवी के रूप में आराधना करते हैं| दुर्गा देवी तो एक हैं पर उनका प्राकट्य तीन रूपों में है, इन तीनों रूपों का एकत्व ही दुर्गा है| ये तीन रूप हैं ...
(१) महाकाली| (२) महालक्ष्मी (३) महासरस्वती|
नवरात्रों में हम माँ के इन तीनों रूपों की साधना करते हैं| माँ के इन तीन रूपों की प्रीति के लिए ही समस्त साधना की जाती है|
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(१) महाकाली ... महाकाली की आराधना से विकृतियों और दुष्ट वृत्तियों का नाश होता है| माँ दुर्गा का एक नाम है ... महिषासुर मर्दिनी| महिष का अर्थ होता है ... भैंसा, जो तमोगुण का प्रतीक है| प्रमाद, दीर्घसूत्रता, अज्ञान, जड़ता और अविवेक ये तमोगुण के प्रतीक हैं| महिषासुर का वध हमारे भीतर के तमोगुण के विनाश का प्रतीक है| इनका बीज मन्त्र "क्लीम्" है|
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(२) महालक्ष्मी ... ध्यानस्थ होने के लिए अंतःकरण का शुद्ध होना आवश्यक होता है जो महालक्ष्मी की कृपा से होता है| सच्चा ऐश्वर्य है आतंरिक समृद्धि| हमारे में सद्गुण होंगे तभी हम भौतिक समृद्धि को सुरक्षित रख सकते हैं| तैतिरीय उपनिषद् में ऋषि प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु जब पहिले हमारे सद्गुण पूर्ण रूप से विकसित हो जाएँ तभी हमें सांसारिक वैभव देना| हमारे में सभी सद्गुण आयें यह महालक्ष्मी की साधना है| इन का बीज मन्त्र "ह्रीं" है|
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(३) महासरस्वती ... हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार आत्म-तत्व का ज्ञान ही वास्तविक ज्ञान है| इस आत्मज्ञान को प्रदान करती है ... महासरस्वती| इनका बीज मन्त्र "ऐं" (शुद्ध उच्चारण 'अईम्') है|
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नवार्ण मन्त्र ... माँ के इन तीनों रूपों से प्रार्थना है कि हमें अज्ञान रुपी बंधन से मुक्त करो|
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कृपा शंकर
१८ अक्तूबर २०२०
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