Monday, 18 October 2021

बुराई पर अच्छाई की विजय एक भ्रम है, इन दोनों से ही ऊपर उठना होगा ----

बुराई पर अच्छाई की विजय एक भ्रम है। इन दोनों से ही ऊपर उठना होगा। यह छाया और प्रकाश का खेल है। सूर्य की ओर मुंह करेंगे तो हमारे समक्ष प्रकाश होगा, और विपरीत दिशा में अंधकार। परमात्मा की ओर उन्मुख होंगे तो सुख है और उससे विपरीत दिशा में दुःख। हमारे अनुभव हमें सब सीखा देंगे। जीवन का उद्देश्य भगवत्-प्राप्ति है। यह भगवत्-प्राप्ति ही सत्य-सनातन धर्म है। यही भारत की अस्मिता और भारत का प्राण है।

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ॐ खं ब्रह्म॥ ख - आकाश-तत्व ईश्वर है, जिस से दूरी ही दुःख है, और समीपता ही सुख। इस समय इतना ही पर्याप्त है।
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 हमारी सबसे बड़ी बुराई -- "अज्ञानता" यानि परमात्मा से पृथकता है। बंद आँखों के अंधकार के पीछे परमात्मा की ज्योति के दर्शन करो। एकांत में उनकी दिव्य ध्वनि को सुनो। परमात्मा के दो रूप सदा मेरे समक्ष रहते हैं ---
त्रिभंग मुद्रा में भगवान वासुदेव श्रीकृष्ण का, और अनंताकाश से भी परे सर्वव्यापी ज्योतिर्मय परमशिव का। इन्हीं से परम संतुष्टि और तृप्ति है। और कुछ भी नहीं चाहिए। सब कुछ इन्हीं में समाहित है। ये दोनों भी पृथक-पृथक नहीं, एक ही हैं।
 
ॐ तत्सत् !!
१५ अक्तूबर २०२१

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