इस समय पूरे विश्व में राष्ट्रवाद का पुनर्जागरण हो रहा है| पता नहीं यह एक
शुभ लक्षण है या अशुभ, पर भारत के लिए तो मैं इसे शुभ ही मानता हूँ| भारत
की सोई हुई चेतना को राष्ट्रवाद ही जगा सकता है|
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राष्ट्रवाद की विचारधारा द्वीतीय विश्व युद्ध के पश्चात भारत में तीब्रता से फ़ैली जिसने अंग्रेजों को भारत छोड़ने को बाध्य कर दिया था| भारत में राष्ट्रवाद को जगाने में वीर सावरकर, नेताजी सुभाष बोस और डा.हेडगेवार आदि का बहुत बड़ा योगदान था| चीन में माओ ने भी वहाँ के साम्यवाद को चीनी राष्ट्रवाद से जोड़ा| पर भारत में साम्यवाद सदा ही राष्ट्रवाद का विरोधी रहा| रूस में पुतिन ने भी रूसी राष्ट्रवाद को प्रमुखता दी है| अमेरिकी राष्ट्रवाद की परिणिति ट्रम्प का राष्ट्रपति बनना है| राष्ट्रवाद के कारण ही ब्रिटेन योरोपीय संघ से अलग हुआ| अब फ़्रांस और हॉलैंड में भी राष्ट्रवाद उफान पर है| पूर्वी योरोप के देशों में भी राष्ट्रवादी विचारधारा तेजी से जागृत हो रही है| राष्ट्रवाद के कारण ही माननीय श्री नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन पाए|
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भारत में राष्ट्रवाद के साथ साथ भक्ति का भी जागरण हो रहा है, यह एक अच्छा लक्षण है| इसी माह की दस तारीख को एक अमेरिकी लडकी हमारे यहाँ आ रही है हिन्दू रीती से अपना विवाह करवाने के लिए| उसका पूरा परिवार और सारे सम्बन्धी सनातन धर्म का पालन करते हैं| इस विवाह में अमेरिका और आस्ट्रेलिया से लगभग ६० परिवार आ रहे हैं| अब तक विश्व में पिछ्ले कुछ समय से लोग हठयोग की बाते करते थे, अब भक्ति की बातें अधिक हो रही हैं|
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मैं तो इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि आने वाला समय अच्छा ही अच्छा होगा| पिछले पचास वर्षों में लोगों की चेतना और ज्ञान असामान्य रूप से बहुत अधिक बढे हैं| और उत्तरोत्तर चेतना का तीब्र गति से विकास ही हो रहा है|
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पूरे विश्व की चेतना भारत से यह अपेक्षा करती है कि भारत एक आध्यात्मिक देश बने और आध्यात्म की ज्योति के दर्शन पूरे विश्व को कराये| अब यह भारत के लोगों पर निर्भर है कि वे कितने आध्यात्मिक बनते हैं|
सारी दुनिया इस समय एक तनाव, भय और असुरक्षा के भाव से ग्रस्त है| सब लोग सुख, शांति और सुरक्षा को ही ढूँढ रहे हैं जो उन्हें कहीं नहीं मिलती|
वह सुख, शांति और सुरक्षा उन्हें भारत के आध्यात्म में ही मिल सकती है|
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न तो ईसाई देश और न मुस्लिम देश और न कोई नास्तिक देश, कोई भी इस समय सुखी नहीं हैं| सब जगह एक भयावह तनाव, असुरक्षा और भय व्याप्त है| सारे अब्राहमिक मतों ने अपने अनुयाइयों को अनंत सुख और शान्ति की आशा दी जो उन्हें कभी भी नहीं मिली| विश्व एक संक्रांति काल से गुजर रहा है| कुछ न कुछ निश्चित रूप से निकट भविष्य में सकारात्मक रूप से घटित होगा| विश्व की चेतना बापस अन्धकार के युग में नहीं जा सकती|
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सभी को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ ॐ ॐ ||
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राष्ट्रवाद की विचारधारा द्वीतीय विश्व युद्ध के पश्चात भारत में तीब्रता से फ़ैली जिसने अंग्रेजों को भारत छोड़ने को बाध्य कर दिया था| भारत में राष्ट्रवाद को जगाने में वीर सावरकर, नेताजी सुभाष बोस और डा.हेडगेवार आदि का बहुत बड़ा योगदान था| चीन में माओ ने भी वहाँ के साम्यवाद को चीनी राष्ट्रवाद से जोड़ा| पर भारत में साम्यवाद सदा ही राष्ट्रवाद का विरोधी रहा| रूस में पुतिन ने भी रूसी राष्ट्रवाद को प्रमुखता दी है| अमेरिकी राष्ट्रवाद की परिणिति ट्रम्प का राष्ट्रपति बनना है| राष्ट्रवाद के कारण ही ब्रिटेन योरोपीय संघ से अलग हुआ| अब फ़्रांस और हॉलैंड में भी राष्ट्रवाद उफान पर है| पूर्वी योरोप के देशों में भी राष्ट्रवादी विचारधारा तेजी से जागृत हो रही है| राष्ट्रवाद के कारण ही माननीय श्री नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन पाए|
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भारत में राष्ट्रवाद के साथ साथ भक्ति का भी जागरण हो रहा है, यह एक अच्छा लक्षण है| इसी माह की दस तारीख को एक अमेरिकी लडकी हमारे यहाँ आ रही है हिन्दू रीती से अपना विवाह करवाने के लिए| उसका पूरा परिवार और सारे सम्बन्धी सनातन धर्म का पालन करते हैं| इस विवाह में अमेरिका और आस्ट्रेलिया से लगभग ६० परिवार आ रहे हैं| अब तक विश्व में पिछ्ले कुछ समय से लोग हठयोग की बाते करते थे, अब भक्ति की बातें अधिक हो रही हैं|
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मैं तो इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि आने वाला समय अच्छा ही अच्छा होगा| पिछले पचास वर्षों में लोगों की चेतना और ज्ञान असामान्य रूप से बहुत अधिक बढे हैं| और उत्तरोत्तर चेतना का तीब्र गति से विकास ही हो रहा है|
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पूरे विश्व की चेतना भारत से यह अपेक्षा करती है कि भारत एक आध्यात्मिक देश बने और आध्यात्म की ज्योति के दर्शन पूरे विश्व को कराये| अब यह भारत के लोगों पर निर्भर है कि वे कितने आध्यात्मिक बनते हैं|
सारी दुनिया इस समय एक तनाव, भय और असुरक्षा के भाव से ग्रस्त है| सब लोग सुख, शांति और सुरक्षा को ही ढूँढ रहे हैं जो उन्हें कहीं नहीं मिलती|
वह सुख, शांति और सुरक्षा उन्हें भारत के आध्यात्म में ही मिल सकती है|
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न तो ईसाई देश और न मुस्लिम देश और न कोई नास्तिक देश, कोई भी इस समय सुखी नहीं हैं| सब जगह एक भयावह तनाव, असुरक्षा और भय व्याप्त है| सारे अब्राहमिक मतों ने अपने अनुयाइयों को अनंत सुख और शान्ति की आशा दी जो उन्हें कभी भी नहीं मिली| विश्व एक संक्रांति काल से गुजर रहा है| कुछ न कुछ निश्चित रूप से निकट भविष्य में सकारात्मक रूप से घटित होगा| विश्व की चेतना बापस अन्धकार के युग में नहीं जा सकती|
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सभी को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ ॐ ॐ ||
यह लेख ज्ञानवर्धक है और इसने मुझे अनेक नए तत्वों को समझने में मदद की है। मेरा यह लेख भी पढ़ें खाटू श्याम मंदिर का इतिहास
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