Friday, 6 April 2018

ब्राह्मण वर्ग की धर्म-रक्षा हेतु विशेष जिम्मेदारी बनती है .....

वर्तमान विकट परिस्थितियों में जब राष्ट्र और धर्म पर मर्मान्तक प्रहार हो रहे हैं, तब ब्राह्मण वर्ग की धर्म-रक्षा हेतु विशेष जिम्मेदारी बनती है| उन्हें निम्न कदम तो उठाने ही होंगे ......
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(१) वर्त्तमान समय की माँग के अनुसार उपजाति भेद समाप्त करना होगा| उपजातियों को समाप्त किये बिना ब्राह्मण कभी भी संगठित और सशक्त नहीं हो पायेंगे| ये कान्यकुब्ज, सरयूपारीण, गौड़, सारस्वत, अय्यर, अयंगार, नम्बूदरी, दाधीच, खंडल, पारीक, शाकद्वीपीय, सनाढ्य, भूमिहार जैसे सारे सैंकड़ों उपजातीय भेद समाप्त करने होंगे| ब्राह्मण ब्राह्मण है, ये उपजातियाँ नहीं| स्वयं संगठित होकर ही हम पूरे हिन्दू समाज को संगठित कर पायेंगे|
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(२) अपने धर्म को न छोड़ें| अपने धर्म का यथासंभव और यथाशक्ति पूर्णरूपेण पालन करें| संध्या आदि नित्य नैमेत्तिक कर्म पूरी निष्ठा से करें और अपनी संतानों को भी सिखाएँ| धर्म की शिक्षा अपनी संतानों को घर पर ही देने की व्यवस्था करें| संस्कृत भाषा का मूलभूत ज्ञान अपने बच्चों को अवश्य कराएँ| अपने बच्चों को हर तरह से अच्छी से अच्छी शिक्षा दें ताकि वे स्वावलंबी बनें|
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(३) आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हर दृष्टी से सशक्त बनें और सारे हिन्दू समाज में समरसता और एकता बनाए रखते हुए समाज का नेतृत्व करें| अपना आदर्श औरों के समक्ष रखें|
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शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ अप्रेल २०१८

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