Friday 6 April 2018

किसी भी देश की विदेश नीति उस देश के आर्थिक हितों पर आधारित होती है .....

April 7, 2017 
यह लेख आज के मध्य-पूर्व में हुए नवीनतम घटनाक्रम पर है .....
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किसी भी देश की विदेश नीति उस देश के आर्थिक हितों पर आधारित होती है| कोई भी देश अपनी नीतियाँ भावुकता में बह कर नहीं बनाता| सीरिया और इराक में गृहयुद्ध वास्तव में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच का युद्ध है| रूस और अमेरिका दोनों के आर्थिक हित वहाँ हैं अतः दोनों वहाँ डटे हुए हैं और डटे रहेंगे| एक बार तो दोनों में युद्ध की सी स्थिति आ गयी थी पर वे कभी आपस में लड़ेंगे नहीं, एक दूसरे को गीदड़ भभकी देकर भीतर ही भीतर समझौता कर लेंगे| ISIS सुन्नी मुसलमानों का संगठन था जिसने शियाओं का नरसंहार किया जिससे शिया और सुन्नियों में एक स्थायी दरार आ गयी है|
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ISIS को बनाया भी अमेरिका ने और समाप्त भी किया अमेरिका ने| अमेरिका ने ही उसे हथियार दिए और उकसाया भी| अमेरिका तुर्की के माध्यम से ISIS से बहुत सस्ती कीमत पर कच्चा तेल खरीदता था| जब तक ISIS शिया मुसलमानों को मार रहा था, अमेरिका ने उसे सहन किया, पर जब वह ईसाइयों को मारने लगा तो अमेरिका ने उसे समाप्त कर दिया|
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सीरिया में सुन्नी बहुमत है पर वहाँ का तानाशाह शासक असद एक शिया है जो सुन्नियों का नरसंहार कर रहा है| इराक में शिया बहुमत था| वहाँ के पूर्व सुन्नी तानाशाह सद्दाम हुसैन ने शियाओं का नरसंहार किया था| अब अमेरिका की सहायता से वहाँ शिया सरकार है जो सुन्नियों को दबाकर रखती है| इस की प्रतिक्रया में सुन्नी उग्रवाद पनपा|
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यमन में भी गृहयुद्ध शियाओं और सुन्नियों के मध्य है| यमन पर भी सऊदी अरब की वायु सेना आक्रमण करती रहती है| सऊदी अरब खुल कर यमन पर हमला ईरान के डर से नहीं कर पा रहा है| ईरान दुनिया में कहीं भी शियाओं को हारने नहीं देगा|
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कहते हैं कि सीरिया ने अपने विद्रोहियों पर रासायनिक हमला किया जिसके उत्तर में आज प्रातः अमेरिका ने सीरिया पर 60 से अधिक क्रूज मिसाइल दाग दिए| इस पर दुनिया भर के देशों से समर्थन और विरोध में प्रतिक्रियाएँ आने लगी हैं| अमेरिका की ओर से किये गये जवाबी हमले का जहाँ रूस ने विरोध किया है, वहीं इस्रायल ने उसका समर्थन किया है|
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इस युद्ध में होगा कुछ नहीं| जब तक अरब देशों में तेल है तब तक अमेरिका और रूस अरबों का खून चूसते रहेंगे| जब तेल समाप्त हो जाएगा तब अमेरिका अरबों का सारा धन जब्त कर लेगा जो अमेरिका की बैंकों में पड़ा है| और ये दोनों देश और इजराइल मिल कर अरबों का बहुत बुरा हाल कर देंगे|
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दो माह पूर्व सऊदी अरब .... यमन में जब शियाओं के विरुद्ध नरसंहार कर रहा था तब तो अमेरिका कुछ भी नहीं बोला क्योंकि सऊदी अरब अमेरिका का सहयोगी देश है| पर आज सीरिया में असद ने सुन्नियों पर तथाकथित रासायनिक आक्रमण किया तब अमेरिका ने खुल कर सीरिया पर हमला बोल दिया है क्योंकि सीरिया की सरकार रूस की मित्र है|
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यह सारा मामला महाशक्तियों के आर्थिक हितों का है, अतः इस पर हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए| वैसे शिया और सुन्नियों के आपसी संघर्षों से अरब देशों में इस्लाम का विघटन आरम्भ हो गया है| सीरिया के पड़ोसी देश ... इराक, इजराइल, जॉर्डन, लेबनान और तुर्की भी कभी आपस में शान्ति से नहीं रहे हैं|
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यहाँ यह भी बता देना चाहता हूँ कि भविष्य में ईरान और इजराइल में युद्ध अवश्यम्भावी है जिसे कोई टाल नहीं सकता| इसमें भयानक विनाश होगा पर युद्ध का परिणाम क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में ही है जिसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता| इति ||
ॐ तत्सत् !
कृपा शंकर
७ अप्रेल २०१७

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