Sunday, 14 January 2018

अब कोई कामना नहीं है .....


अब कोई कामना नहीं है .....
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इस जीवन का अधिकांश भाग व्यर्थ में ही नष्ट हो चुका है| अब जो अति अति अति अल्प शेष भाग इस जीवन का बचा है, उसे गीता के स्वाध्याय और भगवान के ध्यान में ही व्यतीत करने का आतंरिक आदेश मिल रहा है| अन्य किसी ग्रन्थ के स्वाध्याय और अन्य विषयों के अध्ययन-मनन, और अन्य गतिविधियों के लिए अब समय नहीं रहा है| अपने पूर्व जन्मों के कर्मों का फल भोगने के लिए ही यह जन्म मिला था| पिछले जन्मों में कोई अच्छे कर्म नहीं किये थे इसलिए इस जन्म में इतने उतार-चढ़ाव देखे| किसी से कोई शिकायत नहीं है| सब कुछ अपने अपने स्वयं के ही कर्मों का ही भोग था| मुझे नहीं लगता कि इस जन्म में भी मैनें कोई अच्छे कर्म किये हैं| भगवान ने ही अपनी परम कृपा कर के मेरे हृदय में अपने प्रति परम प्रेम और अभीप्सा जागृत कर दी है| यह उन्हीं की महिमा है, मेरी नहीं| अब कोई कामना नहीं है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !! कृपा शंकर //१३ जनवरी २०१८
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भगवान कहते हैं .....
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् |
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः ||८.५||
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प्रयाणकाले मनसाचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव |
भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक् स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम् ||८.१०||
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ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन् |
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम् ||८.१३||
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अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः |
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः ||८.१४||
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मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम् |
नाप्नुवन्ति महत्मानः संसिद्धिं परमां गताः ||८.१५||
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आब्रह्मभुवनाल्लोकाः पुनरावर्तिनोऽर्जुन |
मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते ||८.१६||
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जो कुछ भी कहना था वह भगवान ने कह दिया है| मेरे पास कहने को अब कुछ भी नहीं है| हे प्रभु, आपकी जय हो| ॐ ॐ ॐ !!

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