कोई कुछ भी कहे, मैं नववर्ष ईस्वी सन 2017 का स्वागत करता हूँ|
यह सृष्टि .... परमात्मा के मन का एक विचार मात्र है| मैं इस ह्रदय का सम्पूर्ण प्रेम सम्पूर्ण सृष्टि को दे रहा हूँ, क्योंकि यह प्रेम मेरा नहीं, परमात्मा का है जिनके अथाह प्रेम सागर की गहराइयों में मैं डूबा हुआ हूँ|
हे प्रियतम प्रभु, मेरी पृथकता भी आपके मन का एक विचार मात्र है| मैं तो हूँ ही नहीं, आप ही आप हो| आपकी जय हो|
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परमात्मा द्वारा लोकयात्रा के लिए दी हुई यह देह एक तीर्थ बन गयी है जिसके अधिपति स्वयं साक्षात परमात्मा हैं| विवेक के प्रकाश में श्रद्धा, भक्ति और गुरु चरणों का ध्यान .... त्रिवेणी संगम बन गया है| अब और कहाँ जाएँ ? अन्य कोई ठिकाना नहीं है|
भगवान ने जहाँ रखा है वही प्रसन्न हैं| श्रद्धा, भक्ति और गुरु चरणों का ध्यान .... बस यही मेरी एकमात्र संपत्ति और आश्रय है, जो पर्याप्त है, और कुछ नहीं चाहिए|
हे प्रभु आपकी जय हो| ॐ तत्सत् |ॐ ॐ ॐ ||
यह सृष्टि .... परमात्मा के मन का एक विचार मात्र है| मैं इस ह्रदय का सम्पूर्ण प्रेम सम्पूर्ण सृष्टि को दे रहा हूँ, क्योंकि यह प्रेम मेरा नहीं, परमात्मा का है जिनके अथाह प्रेम सागर की गहराइयों में मैं डूबा हुआ हूँ|
हे प्रियतम प्रभु, मेरी पृथकता भी आपके मन का एक विचार मात्र है| मैं तो हूँ ही नहीं, आप ही आप हो| आपकी जय हो|
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परमात्मा द्वारा लोकयात्रा के लिए दी हुई यह देह एक तीर्थ बन गयी है जिसके अधिपति स्वयं साक्षात परमात्मा हैं| विवेक के प्रकाश में श्रद्धा, भक्ति और गुरु चरणों का ध्यान .... त्रिवेणी संगम बन गया है| अब और कहाँ जाएँ ? अन्य कोई ठिकाना नहीं है|
भगवान ने जहाँ रखा है वही प्रसन्न हैं| श्रद्धा, भक्ति और गुरु चरणों का ध्यान .... बस यही मेरी एकमात्र संपत्ति और आश्रय है, जो पर्याप्त है, और कुछ नहीं चाहिए|
हे प्रभु आपकी जय हो| ॐ तत्सत् |ॐ ॐ ॐ ||
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