"आवरण" और "विक्षेप" के रूप में "माया" तो अपना काम करेगी ही|
हमें भी अपना काम "भक्ति", "शरणागति", "समर्पण", "अभ्यास", "सत्संग" और "वैराग्य" द्वारा निरंतर करते रहना चाहिए|
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रात्रि में सोने से पहिले, और प्रातः उठते ही भगवान का स्मरण, जप और ध्यान करें| निरंतर भगवान की स्मृति बनाये रखें| जब भी समय मिले खूब जप और ध्यान करो| जितना साधन हो सके उतना करो, बाकी शरणागत होकर भगवान को समर्पित कर दो| आगे का काम उनका है| भगवान का इतना चिंतन करो कि वे स्वयं ही आप की भी चिंता करने लगें| ॐ ॐ ॐ ||
हमें भी अपना काम "भक्ति", "शरणागति", "समर्पण", "अभ्यास", "सत्संग" और "वैराग्य" द्वारा निरंतर करते रहना चाहिए|
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रात्रि में सोने से पहिले, और प्रातः उठते ही भगवान का स्मरण, जप और ध्यान करें| निरंतर भगवान की स्मृति बनाये रखें| जब भी समय मिले खूब जप और ध्यान करो| जितना साधन हो सके उतना करो, बाकी शरणागत होकर भगवान को समर्पित कर दो| आगे का काम उनका है| भगवान का इतना चिंतन करो कि वे स्वयं ही आप की भी चिंता करने लगें| ॐ ॐ ॐ ||
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