साधक कौन है? साधक मैं नहीं, स्वयं भगवान वासुदेव श्रीकृष्ण हैं। साधक होने या साधना करने का भ्रम न पालें। स्वयं को देह से पृथक समझें ---
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आध्यात्मिक साधना में सबसे बड़ी बाधा "देहात्म बुद्धि" यानी स्वयं को यह देह समझना है। स्वयं को यह देह मानकर हम जब साधना करते हैं, तब कभी भी सफलता नहीं मिल सकती, और बहुत अधिक बाधाएँ आती हैं। भगवान स्वयं ही अपनी साधना स्वयं कर रहे हैं, हम तो उनके उपकरण -- एक निमित्त मात्र हैं।
यदि यह बात समझ में आ जाये तो अन्य कुछ भी समझने की आवश्यकता नहीं है। इस से अधिक लिखना इस समय संभव नहीं है।
भगवान श्रीकृष्ण स्वयं ही स्वयं को नमन कर रहे हैं।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१६ जनवरी २०२४
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