Tuesday, 18 December 2018

भीड़ में अकेला हूँ .....

भीड़ में अकेला हूँ, पर अपनी मान्यताओं पर दृढ़ हूँ| मेरी मान्यता है कि वास्तविक विकास आत्मा का विकास है| देशभक्त, स्वाभिमानी, चरित्रवान, ईमानदार, निष्ठावान, शिक्षित, कार्यकुशल और राष्ट्र को समर्पित नागरिक ही राष्ट्र की वास्तविक संपत्ति हैं| वे होंगे तो सब कुछ सही होगा| हमें अपनी अस्मिता और राष्ट्रीय चरित्र की रक्षा करनी चाहिए| साफ सुथरी चौड़ी चौड़ी सड़कें और अति सुन्दर बड़े बड़े भवनों से ही राष्ट्र विकसित नहीं होता|
कृपा शंकर
१२ दिसंबर २०१८

1 comment:

  1. मेरे हृदय की गहनतम भावना .....
    मुझे परमात्मा से प्यार है, और उनके ध्यान में ही वास्तविक आनंद मिलता है जो अन्यत्र कहीं भी नहीं है| उनके प्रेममय चैतन्य में कोई तो है जो मेरे हृदय का द्वार नित्य खटखटाता है| देखता हूँ तो पाता हूँ कि वहाँ मेरे सिवा कोई अन्य नहीं है, पूरा दृश्य ही मैं हूँ, कोई दृष्टा नहीं| यह एक कल्पना नहीं, सत्य है| एक सन्देश मुझे नित्य मिलता है जो मेरे मानस पर तुरंत स्पष्ट रूप से अंकित हो जाता है| कोई तो है जो मुझे इतना प्रेम करता है| उस प्रेम की पूर्णता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं चाहिए| वह पूर्णता भी मैं स्वयं ही हूँ| अन्य सब कुछ एक पतला सा धुएँ का आवरण है| ॐ तत्सत् !

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