Tuesday 12 March 2019

चीन के बारे में मेरे कुछ विचार .....

चीन के बारे में मेरे कुछ विचार .....
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सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है,
बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है|
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो,
उसको क्या जो दंतहीन विषरहित, विनीत, सरल हो| (रामधारीसिंह दिनकर)
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बचपन में एक कविता हमारी चौथी या पांचवी कक्षा में थी ....
"उड़न खटोले उड़न खटोले चीन देश पहुंचा दे आज,
जहां किसानों मजदूरों ने बना लिया है अपना राज |"

यह दिखाता है कि सन १९५० के दशक में चीन के पक्ष में भारत में कितना अधिक असंतुलित प्रचार था| चीन के बारे में बचपन से मेरी कल्पना कुछ और ही थी| चीन ने तिब्बत पर अधिकार किया और भारत के साथ युद्ध हुआ तब विचार कुछ और ही बने| बड़े होने पर कुछ परिपक्वता आई और काफी अध्ययन किया तब विचार कुछ और ही हुए| तीन-चार बार चीन जाने का अवसर मिला, तब विचार कुछ और भी बदले| मैनें चीन की दीवार देखी भी है, उस पर और उसके आसपास खूब घूमा भी हूँ और वहाँ के कई लोगों से मिला भी हूँ| काफी कुछ वहाँ के बारे में जाना है|
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चीन के बारे में वास्तविकता यह है कि सन १९८५ तक चीन भारत से बहुत अधिक पिछड़ा हुआ देश था, वहाँ कोई विशेष विकास नहीं हुआ था| चीन में सन १९८५ से लेकर सन २००० के बीच के पंद्रह वर्षों में ही बहुत अधिक विकास हुआ और अब चीन एक विकसित देश हो गया है| अब तक तो वहाँ सब कुछ बदल गया है|
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नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पूर्व चीन की राजनीति में भारत की कोई परवाह नहीं करता था| अब भारत शक्तिशाली है, चीन के नेताओं की आँखों में आंख डाल कर देखता है, तब वहाँ भारतीयों का सम्मान बढ़ा है| वहाँ का आजीवन राष्ट्रपति शी जिनपिंग (习近平, Xi Jinping) (जन्म: १५ जून १९५३) जिसकी शक्ति किसी भी दृष्टिकोण से माओ से कम नहीं है, भारत के एक ही व्यक्ति से प्रभावित है, और वह व्यक्ति है ... श्री नरेन्द्र मोदी| ये दोनों व्यक्ति मिलकर ही सीमा-विवाद को निपटा सकते हैं|
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अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में न तो कोई किसी का मित्र है और न शत्रु| हर देश की विदेश नीति अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप बनती है| वहाँ कोई भावुकता नहीं चलती| चीन इस समय पकिस्तान के अधिक समीप अपने आर्थिक हितों के कारण है, पर भारत का सम्मान भी करता है| आशा करता हूँ कि एक न एक दिन भारत और चीन के मध्य का सीमा विवाद भी सुलझ जाएगा, पर यह भारत के और अधिक शक्तिशाली होने पर निर्भर है| भारत शक्तिशाली होगा तभी भारत का सम्मान होगा|
कृपा शंकर
१२ मार्च २०१८

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