कहते हैं मनुष्य को घमंड नहीं करना चाहिए .....
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बड़े बड़े सुलतान जिनके नाम से दुनिया काँपती थीं, उनकी सल्तनतें मिटटी में मिल गईं और उनके वारिसों को अपना सब कुछ छोड़ कर भागना पड़ा| बात कर रहा हूँ सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) यानि खिलाफत-ए-उस्मानिया की जिसकी स्थापना उस्मान गाज़ी ने २७ जुलाई १२९९ को की थी और जिसका पतन नवम्बर १९२२ में हो गया| सत्ता में आखिरी सुलतान खलीफा-ए-इस्लाम महमद-VI को अपने महल के पिछवाड़े से निकल कर इटली भागना पड़ा|
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महल से भागते हुए सुलतान की फोटो इस लेख में दिए लिंक को दबाने से आ जायेगी| कमेन्ट बॉक्स में सल्तनत के नक़्शे की लिंक भी दी हुई है, जो दिखाता है कि यह कितनी बड़ी सल्तनत थी| खलीफा-ए-इस्लाम महमद-VI के उत्तराधिकारी अब्दुल मजीद (१९२२-२४) को तो अपने वतन की हवा भी नसीब नहीं हुई| वह १९२४ में फ़्रांस में निर्वासित जीवन जीते हुए ही मर गया|
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भारत में महात्मा गाँधी ने खलीफा-ए-इस्लाम को बापस गद्दी पर बैठाने के लिए खिलाफत आन्दोलन चलाया पर मुस्तफा कमाल पाशा ने महात्मा गाँधी को कोई भाव नहीं दिया| गाँधी के खिलाफत आन्दोलन ने भारत का बहुत अधिक अहित किया| केरल में लाखों हिन्दुओं की हत्याएँ हुईं और पकिस्तान की नींव पडी| पकिस्तान के राष्ट्रपिता वास्तव में महात्मा गाँधी ही घोषित होने चाहिए थे| पाकिस्तान बनाने में बहुत बड़ा योगदान तो महात्मा गाँधी और जवाहर लाल नेहरु का था, मोहम्मद अली जिन्ना से भी अधिक|
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खिलाफत-ए-उस्मानिया से पहले खिलाफत-ए अब्बासिया थी जिसका पतन भी अत्यधिक हिंसा से हुआ| १२५८ में खिलाफत-ए-अब्बासिया का तातारियों के हाथों कत्ल-ए-आम के साथ खातमा हुआ| अंतिम अब्बासी खलीफा-ए-ईस्लाम मुस्तअसिम बिल्लाह को जानवर की खाल में लपेट कर घोडे दौड़ा कर कुचल दिया गया था|
"है अयां फितना ए तातार के अफसाने से ! पासबां मिल गए काबे को सनम खाने से" !!
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कहते हैं बाद में यही तातारी कौम मुसलमान हो गई और तुर्क नस्ल के नाम से मशहूर हुई| आगे का इतिहास बहुत लंबा है जो इतिहास के विद्यार्थियों के लिए है| अभी तो इतना ही|
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सभी को साभार धन्यवाद और नमन| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१६ अप्रेल २०१८
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बड़े बड़े सुलतान जिनके नाम से दुनिया काँपती थीं, उनकी सल्तनतें मिटटी में मिल गईं और उनके वारिसों को अपना सब कुछ छोड़ कर भागना पड़ा| बात कर रहा हूँ सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) यानि खिलाफत-ए-उस्मानिया की जिसकी स्थापना उस्मान गाज़ी ने २७ जुलाई १२९९ को की थी और जिसका पतन नवम्बर १९२२ में हो गया| सत्ता में आखिरी सुलतान खलीफा-ए-इस्लाम महमद-VI को अपने महल के पिछवाड़े से निकल कर इटली भागना पड़ा|
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महल से भागते हुए सुलतान की फोटो इस लेख में दिए लिंक को दबाने से आ जायेगी| कमेन्ट बॉक्स में सल्तनत के नक़्शे की लिंक भी दी हुई है, जो दिखाता है कि यह कितनी बड़ी सल्तनत थी| खलीफा-ए-इस्लाम महमद-VI के उत्तराधिकारी अब्दुल मजीद (१९२२-२४) को तो अपने वतन की हवा भी नसीब नहीं हुई| वह १९२४ में फ़्रांस में निर्वासित जीवन जीते हुए ही मर गया|
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भारत में महात्मा गाँधी ने खलीफा-ए-इस्लाम को बापस गद्दी पर बैठाने के लिए खिलाफत आन्दोलन चलाया पर मुस्तफा कमाल पाशा ने महात्मा गाँधी को कोई भाव नहीं दिया| गाँधी के खिलाफत आन्दोलन ने भारत का बहुत अधिक अहित किया| केरल में लाखों हिन्दुओं की हत्याएँ हुईं और पकिस्तान की नींव पडी| पकिस्तान के राष्ट्रपिता वास्तव में महात्मा गाँधी ही घोषित होने चाहिए थे| पाकिस्तान बनाने में बहुत बड़ा योगदान तो महात्मा गाँधी और जवाहर लाल नेहरु का था, मोहम्मद अली जिन्ना से भी अधिक|
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खिलाफत-ए-उस्मानिया से पहले खिलाफत-ए अब्बासिया थी जिसका पतन भी अत्यधिक हिंसा से हुआ| १२५८ में खिलाफत-ए-अब्बासिया का तातारियों के हाथों कत्ल-ए-आम के साथ खातमा हुआ| अंतिम अब्बासी खलीफा-ए-ईस्लाम मुस्तअसिम बिल्लाह को जानवर की खाल में लपेट कर घोडे दौड़ा कर कुचल दिया गया था|
"है अयां फितना ए तातार के अफसाने से ! पासबां मिल गए काबे को सनम खाने से" !!
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कहते हैं बाद में यही तातारी कौम मुसलमान हो गई और तुर्क नस्ल के नाम से मशहूर हुई| आगे का इतिहास बहुत लंबा है जो इतिहास के विद्यार्थियों के लिए है| अभी तो इतना ही|
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सभी को साभार धन्यवाद और नमन| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१६ अप्रेल २०१८
Mehmed VI, the last sultan of the Ottoman Empire and caliph of Islam,
leaves from a backdoor of the Dolmabahçe Palace in Istanbul, November
1922.
https://images.google.co.in/imgres…
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