Sunday, 16 November 2025

आज कार्तिक पूर्णिमा का शुभ दिन है। इस दिन का बहुत अधिक महत्व है।

 आज कार्तिक पूर्णिमा का शुभ दिन है। इस दिन का बहुत अधिक महत्व है। भगवान शिव और विष्णु की अनेक पौराणिक गाथाएँ, व कुछ लौकिक गाथाएँ भी इस दिन के साथ जुड़ी हुई हैं। सभी को यहाँ लिखना असंभव है। आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान भी होता है। अपनी चेतना का परमशिव में विलय ही मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ स्नान है। मैं अपनी सम्पूर्ण चेतना का विलय उनमें करता हूँ। वे मेरा समर्पण स्वीकार करें।

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"ॐ नमः शिवाय विष्णु रूपाय, शिव रूपाय विष्णवे।
शिवस्य हृदयं विष्णुं, विष्णोश्च हृदयं शिवः॥ (स्कन्दपुराण)
मैं विष्णुरूप शिव को, और शिवरूप विष्णु को नमन करता हूँ। शिव के हृदय में विष्णु हैं, और विष्णु के हृदय में शिव हैं।
जैसे शिव हैं वैसे ही विष्णु हैं, तथा जैसे विष्णु हैं वैसे ही शिव हैं। तत्व रूप में शिव और विष्णु में तनिक भी अंतर नहीं है। जैसी भी आपकी श्रद्धा और विश्वास है वैसे ही परमात्मा का चिंतन, मनन, निदिध्यासन, और ध्यान कीजिये। परमात्मा के अनंत ज्योतिर्मय रूप का निरंतर स्मरण और उसमें स्वयं की पृथकता के बोध का समर्पण -- परमात्मा का ध्यान है।
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कौन क्या कहता है, इसकी परवाह न करते हुए, निरंतर परमात्मा के प्रियतम रूप का स्मरण करते रहें। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहते हैं --
"अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः।
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः॥८:१४॥"
*अर्थात् - हे पार्थ ! जो अनन्य चित्त वाला पुरुष मेरा स्मरण करता है, उस नित्य युक्त योगी के लिए मैं सुलभ हूँ अर्थात् सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ॥
*भावार्थ - परमात्मा से अन्य कुछ भी नहीं है। जिस का चित्त निरंतर परमात्मा की चेतना में रहता है, उस नित्य समाधिस्थ को भगवान अनायास ही प्राप्त हो जाते हैं।
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कूटस्थ सूर्यमण्डल में अनन्यगामी चित्त द्वारा पुरुषोत्तम का ध्यान करें। सब कुछ इसी जीवन में प्राप्त हो जाएगा, यानि आप स्वयं इसी जीवन काल में परमात्मा को उपलब्ध हो जाएँगे।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ नवंबर २०२५

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