Sunday, 16 November 2025

किसी के पीछे पीछे मत भागिये ---

 किसी के पीछे पीछे मत भागिये। खुद के ही पीछे पीछे भागोगे तो खुद ही खुदा बन जाओगे। पाने की कामना एक धोखा है। सब कुछ प्राप्त है, पाने को कुछ भी नहीं है। केवल बनना ही बनना है। जीव परमात्मा का अंश है तो जन्म किसका होता है, और मरता कौन है? चोरासी लाख योनियों में और स्वर्ग/नर्क में कौन जाता है? भोगों को कौन भोगता है?

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पाप/पुण्य और धर्म/अधर्म की चेतना से ऊपर उठना होगा। केवल परमात्मा का चिंतन कीजिये। स्वर्ग, नर्क, मुक्ति, मोक्ष आदि सब फालतू की बाते हैं। स्वर्ग का तो ज्ञान नहीं, एक बार पता नहीं कौन से नर्क में अनायास ही मैं चला गया था। वहाँ का अनुभव लिया जिसकी स्मृति स्पष्ट है फिर किसी ने मुझे धक्के मार कर बाहर निकाल कर फेंक दिया, और धमका कर कहा कि दुबारा इधर मत आना। फिर उधर देखा ही नहीं।
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कूटस्थ सूर्यमण्डल में पुरुषोत्तम का ध्यान करो। यही कल्याण का मार्ग है। जो पुरुषोत्तम हैं, वे ही परमशिव हैं। भगवान ने एक ऐसी व्यवस्था कर रखी है कि हर कोई मुझसे मिल भी नहीं सकता। चेतना में मैं सदा आपके साथ हूँ।
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"न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता।
डुबोया मुझ को होने ने, न होता मैं तो क्या होता॥" (गालिब)
यदि मैं नहीं होता तो कितना अच्छा होता !! तब सिर्फ भगवान खुद ही होते। मेरे होने ने ही भगवान को मुझ से दूर करने का अनर्थ कर दिया। मैं नहीं रहूँगा, तो मेरे स्थान पर सिर्फ भगवान ही होंगे।
ॐ तत्सत्॥
कृपा शंकर
१३ नवंबर २०२५

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