गुरु की सत्ता सूक्ष्मातिसूक्ष्म जगत में है जहाँ से वे इस हृदय साम्राज्य पर राज्य कर रहे हैं ......
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गुरु महाराज सब तरह के नाम-रूपों से परे परमात्मा के साथ एक हैं| सूक्ष्म जगत में वे सर्वत्र व्याप्त हैं, वहीं से वे इस हृदय साम्राज्य पर राज्य कर रहे हैं| उनकी अनंतता ही मेरा वास्तविक स्वरुप है| इस भौतिक हृदय की भी हर धड़कन, इन फेफड़ों द्वारा ली जा रही हर सांस, इस मन की हर सोच ..... सब कुछ उन्हीं का है, मेरा कुछ भी नहीं है| इस देह रूपी वाहन की सत्ता तो उतनी ही दूरी में है जितना स्थान इसने घेर रखा है, पर मैं यह देह नहीं शाश्वत सर्वव्यापी आत्मा और अपने गुरु और परमात्मा के साथ एक हूँ| उन से कहीं पर कैसी भी कोई पृथकता नहीं है|
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गुरु महाराज सब तरह के नाम-रूपों से परे परमात्मा के साथ एक हैं| सूक्ष्म जगत में वे सर्वत्र व्याप्त हैं, वहीं से वे इस हृदय साम्राज्य पर राज्य कर रहे हैं| उनकी अनंतता ही मेरा वास्तविक स्वरुप है| इस भौतिक हृदय की भी हर धड़कन, इन फेफड़ों द्वारा ली जा रही हर सांस, इस मन की हर सोच ..... सब कुछ उन्हीं का है, मेरा कुछ भी नहीं है| इस देह रूपी वाहन की सत्ता तो उतनी ही दूरी में है जितना स्थान इसने घेर रखा है, पर मैं यह देह नहीं शाश्वत सर्वव्यापी आत्मा और अपने गुरु और परमात्मा के साथ एक हूँ| उन से कहीं पर कैसी भी कोई पृथकता नहीं है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ फरवरी २०१९
कृपा शंकर
८ फरवरी २०१९
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