Tuesday 12 February 2019

बसंतपंचमी की शुभ कामनाएँ .....

बसंतपंचमी की शुभ कामनाएँ ! यह मूलतः सरस्वती पूजन का दिवस है| एक भूला-बिसरा ऐतिहासिक सत्य यह भी है कि एक समय राजपूताने (वर्तमान राजस्थान) में बसंत पंचमी के दिन भौमिया वीरों की स्मृति में भी आराधना होती थी| अब भी कई स्थानों पर भौमिया वीरों की आराधना होती है| यह बात मैंने अपने पूर्वजों के मुख से सुनी है| भौमिया वीर वे वीर होते थे जो सिर कटने के पश्चात भी रणभूमि में युद्ध करते रहते थे| राजपूताने के इतिहास में ऐसे अनगिनत सैंकड़ों वीर हुए हैं जिनके सिर कटने के बाद भी उनके धड़ बहुत समय तक युद्ध करते रहे| ऐसे वीर भौमिया वीर कहलाते थे और उनकी आराधना देवताओं के रूप में होती है| पारंपरिक रूप से अब भी बसंत पंचमी के दिन राजस्थान के कई घरों में भौमिया जी का दीपक जलाया जाता है और उस दीपक की पूजा होती है|
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बसंतपंचमी के दिन ही भगवान श्रीराम शबरी भीलनी के घर पधारे थे|
पृथ्वीराज चौहान ने बसंतपंचमी के दिन ही मोहम्मद गौरी का वध किया था|
बसंतपंचमी के ही दिन ही वीर बालक हकीकत राय का बलिदान हुआ था| उसकी स्मृति में लाहौर में बसंतपंचमी के दिन ही मेला भरता था और पतंगें उडाई जाती थीं| अब भी वहाँ इस दिन पतंगें उडाई जाती हैं| इस तेरह वर्ष के बालक के एक हाथ में गीता थी| हर तरह के भय और प्रलोभन उसे दिए गए| सरहिंद के नवाब ने तो उस से अपनी शाहजादी की शादी करने और अपना सारा राज्य देने का भी प्रस्ताव दिया था पर उसने इस्लाम कबूल नहीं किया और अपनी गर्दन कटवा की|
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गुरु रामसिह कूका का जन्म बसंतपंचमी के दिन हुआ था| उनके ५० शिष्यों को अंग्रेजों ने १७ जनवरी १८७२ के दिन मलेरकोटला में तोपों के सामने बांधकर उड़ा दिया था| बाकी बचे १८ को अगले दिन फांसी दे दी गयी| गुरू रामसिंह को भी पकड़कर बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया| १४ वर्ष तक वहाँ कठोर अत्याचार सहकर सन १८८५ ई.में उन्होंने शरीर त्याग दिया|
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राजा भोज का जन्मदिवस वसंत पंचमी को ही आता हैं। राजा भोज इस दिन एक बड़ा उत्सव करवाते थे जिसमें पूरी प्रजा के लिए एक बड़ा प्रीतिभोज रखा जाता था जो चालीस दिन तक चलता था|.
महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का जन्म भी वसंतपंचमी के दिन हुआ था|
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पुनश्चः वसंतपंचमी की मंगलमय शुभ कामनाएँ ! सभी का कल्याण हो !
ॐ तत्सत् !
१० फरवरी २०१९

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