Monday, 2 April 2018

आत्मा से परे कुछ भी नहीं है .....

आत्मा से परे कुछ भी नहीं है .....
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"ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम् पूर्णात् पूर्णमुदच्यते| पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते||"
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः||
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जो योगमार्ग के पथिक हैं, जो आत्मतत्व यानि अद्वैतब्रह्म का ध्यान करते हैं, उन्हें समय समय पर उपनिषदों का स्वाध्याय करते रहना चाहिए| इस से उन्हें अपार शक्ति और निरंतर प्रेरणा मिलेगी| आत्मा और ब्रह्म एक हैं| ब्रह्म के अतिरिक्त अन्य कुछ भी नहीं है| जिसे नानात्व दिखता है वह मृत्यु की ओर बढ़ता है| जब भी समय मिले परमात्मा का ध्यान करें| गीता पाठ तो नित्य करें|
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शुक्ल यजुर्वेद के बृहदारण्यक उपनिषद् व शतपथ ब्राहण का यह मन्त्र (१४/५/४/६) बताता है कि आत्मा से परे कुछ भी नहीं है .....
"ब्रह्म तं परादात् योऽन्यत्रात्मनो ब्रह्म वेद
क्षत्रं तम् परादाद्योऽन्यत्रात्मनः क्षत्रं वेद
लोकास्तं परादुर्योऽन्यत्रात्मनो लोकान्वेद
देवास्तं परादुर्योऽन्यत्रात्मनो देवान्वेद
भूतानि तं परादुर्योऽन्यत्रात्मनो भूतानि वेद
सर्वं तं परादाद्योऽन्यत्रात्मनः सर्वं वेद
इदं ब्रह्मेदं क्षत्रमिमे लोका इमे देवा इमानि भूतानी
इदं सर्वं यदयमात्मा."
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आप सब निजात्मगण को सप्रेम सादर नमन !
"ॐ असतोमा सद्गमय | तमसोमा ज्योतिर्गमय | मृत्योर्मामृतं गमय ||" ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः ||
ॐ ॐ ॐ !!
३१ मार्च २०१८

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