Monday, 2 April 2018

जातिवाद और जातीय वर्गसंघर्ष को बढ़ावा देने वाले लोग भारत के सबसे बड़े शत्रु हैं....


जातिवाद और जातीय वर्गसंघर्ष को बढ़ावा देने वाले लोग भारत के सबसे बड़े शत्रु हैं....
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इस समय जातिवाद और जातीय वर्गसंघर्ष को बढ़ावा देने वाले लोग भारत के सबसे बड़े शत्रु हैं| सत्ता प्राप्ति के लिए जातिवाद उनके लिए एक माध्यम है| ऐसे लोग अधिक समय तक टिकेंगे नहीं| वर्त्तमान कालखंड में ये शीघ्र स्वयं ही आपस में लड़कर नष्ट हो जायेंगे|
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विदेशी ईसाई मिशनरियाँ भी भारत की सबसे बड़ी शत्रु हैं| वे योजनाबद्ध तरीके से पिछली कई शताब्दियों से भारत की अस्मिता को नष्ट करने का प्रयास कर रही हैं| मध्य एशिया और अरब से आये हमलावरों ने तो सिर्फ मारकाट और विध्वंश ही किया पर सनातन धर्म की जड़ों को खोदने का काम विदेशी मिशनरियों ने किया है, और आज भी कर रही हैं|
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भारत की सबसे बड़ी संपत्ति भारत का आध्यात्म है जो वामपंथियों और जातिवादियों को कभी भी समझ में नहीं आ सकता| कुशिक्षा के कारण भारत की युवा पीढी भी आध्यात्म से दूर हुई है| पर वर्त्तमान सभ्यता की विफलता उन्हें एक न एक दिन बापस आध्यात्म की ओर मोड़ देगी|
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वास्तविक विकास तो आत्मा का विकास है, जो निष्ठापूर्ण, आध्यात्मिक और चरित्रवान लोगों के द्वारा व्यक्त होता है| यह जातिवादियों के दिमाग में नहीं घुस सकता| जितनी भौतिकता बढ़ेगी उतना ही आसुरी भाव भी बढेगा| आसुरी समाजों का अस्तित्व प्रकृति अधिक समय तक सहन नहीं कर सकती| ऐसे लोग भी आपस में ही लड़कर स्वयं को नष्ट कर देंगे|
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समाजवाद, साम्यवाद, जातिवाद और तुष्टिकरण .... ये सब विफल व्यवस्थाएँ हैं| इन्होनें विनाश ही विनाश किया है| भारत की राजनीतिक व्यवस्था भी एक ढोंग है| एक तरफ तो कहते हैं कि देश धर्मनिरपेक्ष है, दूसरी ओर अल्पसंख्यकवाद को बढावा देकर अल्पसंख्यक आयोग आदि बना रखे हैं| एक तरफ तो कहते हैं कि देश में समानता है, दूसरी ओर जातिगत आरक्षण है| जातिगत आरक्षण तो इतनी गहरी जड़ें जमा चुका है जो कभी समाप्त हो ही नहीं सकता| इसे तो कोई सैनिक तानाशाही ही समाप्त कर सकती है|
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सभी का कल्याण हो| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२ अप्रेल २०१८

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