Tuesday, 31 January 2017

कृपया अपने बच्चों को, विशेष रूप से अपनी लड़कियों को वामपंथी प्रभाव से बचाएँ ..

कृपया अपने बच्चों को, विशेष रूप से अपनी लड़कियों को वामपंथी प्रभाव से बचाएँ ..
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किसी पर भी वामपंथी प्रभाव गलत है| अपने बच्चों को मार्क्सवादी वामपंथियों, नारीमुक्तिवादियों, नारीसमानतावादियों और सेकुलरों से बचाएं| ये स्त्रियों को समान अधिकार दिलाने की बातें कर के के अपने संपर्क में आई लड़कियों को इतना खराब कर देते हैं कि वे लडकियाँ घर-गृहस्थी के योग्य नहीं रहतीं| जिस भी घर में ये विवाह कर के जाती हैं वह घर बर्बाद हो जाता है| मैनें कई घरों को बर्बाद होते हुए देखा है|
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ये वामपंथी और सामानाधिकारवादी पहले तो लड़की से दोस्ती करते हैं, फिर उसे मुफ्त में घुमाते-फिराते हैं, उपहार देते हैं, सिगरेट और शराब पीना सिखाते हैं| फिर उसे यह ज्ञान देते हैं कि स्त्री-पुरुष में कोई भेद नहीं होता है| स्त्री को वह सब करना चाहिए जो पुरुष करता आया है| पुरुष यदि अनेक स्त्रियों से सम्बन्ध रखता है तो स्त्री को भी अनेक पुरुषों से सम्बन्ध रखना चाहिए| उनके प्रभाव से लडकियाँ बराबरी करने पर उतारू हो जाते हैं|
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लडकियों के दिमाग में यह बात बैठा दी जाती है कि समाज ने तुम्हारे साथ सदा भेदभाव किया है, घरो में कैद करके रखा है .....आदि आदि| फिर उसे सिखाया जाता है कि जैसे पुरुषों ने स्त्रियों को भोगा है वैसे ही तुम भी पुरुषों को भोगो और उनका शोषण करो|
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आगे की बातें लिखना मैं अपनी मर्यादा के विरुद्ध समझता हूँ अतः आप कल्पना कर सकते हैं|
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जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में कई वर्ष पूर्व वामपंथी महिलाओ ने "Feel the freedom, Throw Bra" नाम का एक आन्दोलन चलाया था, जिसमें लडकियाँ बिना ब्रा पहिने घूमने लगी थीं| उनको सिखाया गया था की ब्रा पहिनना एक बंधन है जिसे तोड़ देना चाहिए| अभी कुछ महीनों पूर्व दिल्ली में खुले आम सार्वजनिक रूप से चुम्बन और आलिंगन करने की स्वतंत्रता का आन्दोलन चला था|
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ये सब समाज को और विवाह की संस्था को नष्ट करने का कार्य है| ये लडकियाँ किसी संपन्न घर के लडके को फंसा कर उससे विवाह कर लेती है, फिर उसका जीवन नरक बना देती है, झूठे महिला अत्याचार और दहेज़ प्रताड़ना के मुकदमें अपनी ससुराल वालों पर कर देती हैं| | लडका दुःखी होकर तलाक़ का मुक़दमा करता है और हिन्दुओं के लिए बने भारत के वर्तमान सारे कानून लडकियों के पक्ष में हैं, लड़कों की कहीं भी सुनवाई नहीं होती| न्यायालय उस लड़की को या तो लड़के की आधी संपत्ति दिला देती है या भरण-पोषण (maintenance) के नाम पर एक बहुत बड़ी रकम की देनदारी कर देती है| कई लडके तो आत्म-ह्त्या कर लेते हैं, उनके माँ-बाप भी असमय मर जाते हैं| लड़की की दृष्टी तो धन पर ही होती है जो उसे मिल जाता है| फिर उसे उन्मुक्तता का पूरा अवसर मिल जाता है|
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अब हिन्दुओं में विवाह की संस्था तो धीरे धीरे समाप्त हो ही रही है (मुसलमानों में अच्छा है .... तीन बार तलाक़ तलाक़ तलाक़ कह कर छुट्टी पा लेते हैं) अतः हिन्दू लडकों को चाहिए कि चाहे वे सारी जिन्दगी कुंआरे रह जाएँ पर भूल से भी विवाह अनजान परिवारों में न करें| अगर भूल से भी कोई वामपंथी या नारी-स्वतान्त्रतावादी लड़की घर में बहु बनकर आ गयी तो उस घर का विनाश निश्चित है|
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सभी माता-पिताओं से मेरा हाथ जोड़ कर अनुरोध है कि अपनी बच्चियों को घर में प्यार दें जिसके लिए वे घर से बाहर प्यार नहीं ढूंढें| मनोवैज्ञानिक रूप से जिन बच्चों को घर में बाप का प्यार नहीं मिलता वे पर पुरुषों में प्यार ढूंढते हैं| जिन बच्चों को माँ का प्यार नहीं मिलता वे दूसरी महिलाओं में प्यार ढूंढते हैं| अतः माँ और बाप दोनों का प्यार बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है|
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जय जननी, जय भारत ! जय सनातन वैदिकी संस्कृति | जय श्रीराम !
ॐ ॐ ॐ ||

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