Tuesday, 31 January 2017

हमरा वातावरण हमारी इच्छा शक्ति से अधिक शक्तिशाली है .....

वह परिवेश जिसमें हम रहते हैं यानि हमारे आसपास का वातावरण, हमारी इच्छा-शक्ति से भी अधिक प्रबल होता है| हमारे विचार भी हमारे चारों ओर एक सूक्ष्म वातावरण का निर्माण करते हैं|
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पूर्व जन्मों के अच्छे संस्कार मनुष्य की रक्षा करते हैं पर कुसंगति बुरे संस्कारों और बुरे कर्मों को जन्म देती है|
मनुष्य के मन में आया हर विचार व हर भाव उसका कर्म होता है|
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जो बुरे बिचार हमारे अवचेतन मन में छिपे हैं उनके प्रतिकार के लिए सतत परमात्मा का चिंतन और ध्यान अति आवश्यक है| एक समय में दो विचार नहीं आ सकते अतः परमात्मा का ध्यान और चिंतन हमारे अवचेतन मन में गहराई से बैठकर हमारा स्वभाव बन जाएगा|
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बाकी हम सब समझदार हैं, सब समझते हैं, अतः अधिक कहना व्यर्थ है|
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ॐ शिव | ॐ ॐ ॐ ||

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