Friday, 21 February 2025

मैं इसी क्षण स्वयं को सब तरह के संकल्पों-विकल्पों मुक्त करता हूँ ---

मैं इसी क्षण स्वयं को सब तरह के संकल्पों-विकल्पों, धारणाओं-विचारधाराओं, दायित्वों, पाप-पुण्य, और धर्म-अधर्म से सदा के लिए मुक्त करता हूँ। मेरी चेतना में मैं इस समय ईश्वर की सर्वव्यापक विराट अनंतता व उससे भी परे हूँ। किसी के साथ मेरा कोई विशिष्ट संबंध नहीं है। मुझे न तो किसी से कुछ पूछना है, और न किसी को कुछ बताना। किसी से कुछ लेना-देना भी नहीं है। परमशिव सदा मेरे समक्ष ही नहीं, मेरे साथ एक हैं। उनके सिवाय कोई अन्य विचार मेरे मानस में इस समय नहीं है, और भविष्य में कभी न आये तो ही अच्छा है। .

भगवान सब तरह के धर्म-अधर्म, सिद्धान्त और नियमों से परे हैं। उनकी प्रेरणा और कृपा से मैं भी स्वयं को सब तरह की साधनाओं, उपासनाओं, धर्म-अधर्म, पाप-पुण्य, और कर्तव्यों से मुक्त कर रहा हूँ। वे निरंतर मेरे दृष्टि-पथ में हैं। वे मुझसे पृथक अब नहीं हो सकते। मेरा एकमात्र धर्म -- परमात्मा से परमप्रेम और उनको पूर्ण समर्पण है। यही मेरा स्वधर्म है।
ॐ तत्सत् !!
“ईशा वास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्‌।
तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम्‌ ॥"

ॐ स्वस्ति !! शिव शिव शिव शिव शिव ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ !! हरिः ॐ तत्सत् !!

कृपा शंकर
४ जनवरी २०२४

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