आने वाला समय सत्य-सनातन-धर्म का है। अधिक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। शीघ्रातिशीघ्र ही समय समीप आ रहा है। एक महाविनाशलीला के भी हम साक्षी होंगे, लेकिन जो स्वधर्म का पालन करेंगे, उनकी रक्षा होगी। हम शाश्वत आत्मा हैं, यह भौतिक देह नहीं। आत्मा का स्वधर्म है -- परमात्मा को परमप्रेम और समर्पण।
भविष्य में चर्चाओं का मुख्य विषय होगा -- धर्म और अधर्म।
मैं कुछ समय तक अस्थायी रूप से उपलब्ध नहीं रहूँगा। मैं किसको नमन करूँ? जिधर भी देखता हूँ, केवल मेरे प्रभु ही प्रभु हैं। कोई अन्य नहीं है। ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
६ दिसंबर २०२३
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