बुद्धि और कुबुद्धि का युग समाप्त होकर धर्म और अधर्म पर चर्चा और विमर्श का युग आरंभ होने वाला है। मनुष्य की बुद्धि और कुबुद्धि ने जितने भी मत-मतांतर और वाद उत्पन्न किए हैं, वे महत्वहीन होकर सब समाप्त हो जाएँगे।
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अगला युग धर्म-अधर्म पर विमर्श का ही होगा। मनुष्य का चिंतन इन्हीं दो विचारों के मध्य होगा कि धर्म क्या है, और अधर्म क्या है। सारे मज़हब, रिलीजन, और वाद (जैसे साम्राज्यवाद, नाजीवाद, साम्यवाद, समाजवाद, फासीवाद, पूंजीवाद, अल्पसंख्यकवाद आदि आदि) सब महत्वहीन और समाप्त हो जाएँगे। विश्व की अधिकांश जनसंख्या भी समाप्त हो जाएगी। यह होता हुआ आप अपने जीवनकाल में ही देखेंगे। मनुष्य जाति की वर्तमान सभ्यता अधिक से अधिक तीस वर्षों की है। इसकी अनुभूति मुझे अनेक बार हुई है।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२२ नवंबर २०२३
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