Saturday 4 November 2017

रानी पद्मावती का अपमान हर हिन्दू का अपमान है .....

रानी पद्मावती का अपमान हर हिन्दू का अपमान है ......
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रानी पद्मावती का अपमान हर हिन्दू का अपमान है| रानी पद्मावती अकेली ही चितौड़ गढ़ की जौहर-बावड़ी के विराट अग्निकुंड में नहीं कूदी थीं, उनके साथ समस्त मातृशक्ति की हजारों हिन्दू महिलाऐं भी थीं जिन्होनें सामूहिक बलात्कार के इच्छुक नर पिशाचों से अपने धर्म और स्वाभिमान की रक्षा के लिए जीवित ही अग्नि कुंड में कूद कर अपने प्राण देना स्वीकार किया|
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इन हज़ारों हिन्दू महिलाओं ने अपने विवाह के समय के सर्वश्रेष्ठ सुहाग वस्त्र पहिन कर, सुहागिनों का सा शृंगार कर, गीत गाते हुए, पुरोहितों से तिलक करवा कर हँसते हँसते अपने पति-परमेश्वर का स्मरण करते हुए जौहर-बावड़ी के अग्निकुंड में कूद कर धर्मंरक्षार्थ अपने प्राण देना स्वीकार किया, न कि आतताइयों की कुत्सित काम वासना का शिकार बनना| यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी गौरवशाली घटना थी| इस इतिहास को कालान्तर में भी अनेक बार दोहराया गया|
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ऐसी प्रातः स्मरणीया देवी के साथ एक आततायी लुटेरे नीच राक्षस का अपमानजनक काल्पनिक प्रणय प्रसंग और काल्पनिक आलिंगन-चुम्बन के दृश्य दिखाना समस्त हिन्दू जाति के धर्म और स्वाभिमान का अपमान है| लानत है हमारे ऊपर यदि हम ऐसे दृश्यों को कला के नाम पर चित्रण और प्रदर्शित करने की अनुमति दें|
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हिन्दुओं का अपमान करने वाले इन तथाकथित हिन्दू सेकुलर कुलकलंकियों और बिकी हुई विदेशी स्वामित्व की प्रेस वालों को यदि रोमांटिक दृश्यों का ही आनंद लेना है तो ऐसे दृश्य अपने परिवार की बुजुर्ग महिलाओं ...... अपनी दादी, माँ और बहिनों के साथ करें| इन्हें दूसरों के पूर्वजों के अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है|
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यह विरोध सिर्फ राजपूत जाती का नहीं है, पूरे हिन्दू समाज का है| रानी पद्मावती सभी हिन्दुओं के लिए माता के समान है| अपनी माता को फिल्म में फूहड़ नृत्य कराते हुए और एक लुटेरे राक्षस से प्रणय और चुम्बन कराते हुए देखना हमारे लिए तो मृत्यु के सामान है|
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जिन हिन्दू नारियों ने धर्मारक्षार्थ अपना उच्चतम बलिदान दिया वे हिन्दू सभ्यता और संस्कृति की प्रतीक हैं, कोई मनोरंजन का साधन नहीं| हमारे लिए हमारा धर्म सबसे बड़ा है, न कि फूहड़ आत्मघाती मनोरंजन| अपने धर्म पर हो रहे इस मर्मान्तक प्रहार का प्रतिकार करें| भगवान हमारे धर्म व संस्कारों की रक्षा करे|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
०४ अप्रेल २०१७

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पुनश्चः :---  महाराणी पद्मिनी भाटियाणी सही नाम था, न कि रानी पद्मावती| जन्म सन १२८५ ई.| भाटी राजपूतों की बेटी थी इसलिए भाटियाणी थी| जन्म स्थान .. पूगल, बीकानेर| पिता का नाम रावल पुनपाल भाटी और माँ का नाम जामकँवर देवड़ी| भाई ... राजकुमार चरड़ा,राजकुमार लूणराव| मामा ...गोरा चौहान, और ममेरा भाई बादल चौहान| नाना ... राजा हमीर देवड़ा चौहान|
चितौड़ के राजा रावल रतन सिंह जी के साथ परिणय सन १३०० ई.के लगभग हुआ| महाराणी पद्मिनी ने अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए लगभग १६ हज़ार क्षत्राणियों के साथ जौहर किया था| धूर्त शैतान नरपिशाच अल्लाउद्दीन खिलजी महाराणी पद्मिनी को छूना तो दूर, देख तक नही पाया था|
(स्त्रोत : विभिन्न लेख) (कहीं पर जन्म स्थान जैसलमेर भी लिखा है)

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