सत्य-सनातन-धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण कब होगा? ---
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मनुष्य की प्रज्ञा निरंतर विकसित हो रही है। सत्य को जानने की जिज्ञासा भी निरंतर बढ़ रही है। जिस दिन आधुनिक विज्ञान द्वारा मनुष्य की प्रज्ञा पूर्ण रूप से यह मान लेगी कि आत्मा शाश्वत है, और कर्मफलों की प्राप्ति व पुनर्जन्म सत्य हैं, उसी दिन से इब्राहिमी मज़हबों (Abrahamic Religions) से लोगों की आस्था समाप्त होनी प्रारम्भ हो जाएगी, और सत्य-सनातन-धर्म की ओर आकर्षण बढ़ने लगेगा।
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पृथ्वी से अज्ञान का अंधकार तो पूरी तरह कभी भी नहीं मिट सकता, अन्यथा सृष्टि ही नष्ट हो जाएगी। पृथ्वी पर यदि सभी पापी हो जाएँ, या सभी पुण्यात्मा हो जाएँ तो यह पृथ्वी उसी क्षण नष्ट हो जाएगी। पाप और पुण्य यानि अंधकार और प्रकाश, का ही यह सारा खेल है जिसे हम सृष्टि कहते हैं। ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१९ अप्रेल २०२२
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