Saturday, 23 April 2022

पृथ्वी का भार बहुत अधिक बढ़ गया है, महाप्रलय की संभावना है ---

 पृथ्वी का भार बहुत अधिक बढ़ गया है, महाप्रलय की संभावना है ---

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पृथ्वी का भार हमारे बुरे विचारों से ही बढ़ता है, और हमारे प्रज्ञापराधों से ही महाविनाश यानि महाप्रलय होती है। हमारा विवेक यानि प्रज्ञा ही हमारी रक्षा करती है, और प्रज्ञापराध ही हमारा महाविनाश करेंगे। धीरे-धीरे पूरी पृथ्वी की जनसंख्या घटते-घटते बहुत ही कम रह जाएगी, ऐसा मुझे कई बार आभास होता है। हो सकता है पूरी पृथ्वी पर मात्र ३६ लाख के लगभग ही मनुष्य बच जाएँ, और सारी मनुष्यता नष्ट हो जाये।
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यह आणविक युद्ध से भी संभव है और महाप्रलय से भी संभव है जो किसी भी क्षण हो सकती है। एक सत्य-धर्मनिष्ठ नए युग का प्रारंभ होगा। कोई भ्रष्ट, रिश्वतखोर, चोर, आतताई और अधर्मी इस पृथ्वी पर नहीं बचेगा। ये सब कीड़े-मकोड़े जैसी पशु-योनियों में कष्ट पाते भटक रहे होंगे, या नर्क की भयानक यंत्रणाओं का भोग पा रहे होंगे।
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पुराणों की कथाओं को पढ़ें तो एक बात तो स्पष्ट हो जाती है की पृथ्वी तभी रसातल में गयी जब उस पर पाप बहुत अधिक बढ़ गया। पृथ्वी पर पाप तभी बढ़ता है जब हमारे विचार प्रदूषित होते हैं। इस समय पृथ्वी पर पाप बहुत अधिक बढ़ गया है, इतना अधिक कि मुझे तो कोई सुधार नहीं दिखाई देता।
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पृथ्वी अपनी धूरी का चक्कर १६१० किलोमीटर प्रति घंटे की गति से २३ घंटे ५६ मिनट और ४ सेकंड में पूरा करती है। सूर्य की परिक्रमा करने में पृथ्वी को ३६५ दिन ५ घंटे ४८ मिनट और ४६ सेकंड लगते हैं। पृथ्वी अपने अक्ष पर २३ डिग्री ३० मिनट झुकी हुई है। पृथ्वी की गति के समय (२३ घंटे ५६ मिनट और ४ सेकंड) में थोड़ा सा भी परिवर्तन हो जाए तो इस बात की पूरी संभावना है कि पृथ्वी का अपने अक्ष पर झुकाव बदल जाएगा जो वर्तमान में २३ डिग्री ३० मिनट है। पृथ्वी के अपने झुकाव पर थोड़े से भी परिवर्तन से ध्रुवों की स्थिति बदल जायेगी। ध्रुवों की स्थिति का थोड़ा सा भी परिवर्तन सारी पृथ्वी की जलवायु को बदल देगा। दोनों ध्रुवों पर जमी बर्फ एक बार तो पिंघल जायेगी, उस से आधी से अधिक पृथ्वी जलमग्न हो जायेगी। इसी को महाप्रलय कहते हैं जो वैज्ञानिक रूप से पूर्णतः संभव है।
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भगवान सभी का भला करें। ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
१३ अप्रेल २०२२

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